कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने बृहस्पतिवार को यह बयान देकर एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया कि इसरो मुख्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी ‘अशुभ' साबित हुई होगी, जिसके कारण ‘चंद्रयान-2' मिशन के लैंडर विक्रम की ‘सॉफ्ट लैंडिंग' असफल हो गई. कुमारस्वामी ने मैसूर में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैं नहीं जानता, लेकिन संभवत: वहां उनके कदम रखने का समय इसरो वैज्ञानिकों के लिए अपशगुन लेकर आया.''
उन्होंने कहा कि मोदी छह सितंबर को देश के लोगों को यह संदेश देने के लिए बेंगलुरु पहुंचे कि चंद्रयान के प्रक्षेपण के पीछे उनका हाथ है, जबकि यह परियोजना 2008-2009 के दौरान की संप्रग सरकार और वैज्ञानिकों का परिणाम थी. कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘बेचारे वैज्ञानिकों ने 10 से 12 साल कड़ी मेहनत की. ‘चंद्रयान-2' के लिए कैबिनेट की मंजूरी 2008-09 में दी गई थी और इसी साल फंड जारी किया गया था.''
उन्होंने कहा, ‘‘वह (मोदी) यहां प्रचार पाने के लिए आए, जैसे मानो ‘चंद्रयान-2' का प्रक्षेपण उन्हीं के कारण हुआ.'' उल्लेखनीय है कि ‘चंद्रयान-2' मिशन को सात सितंबर को उस समय झटका लगा था कि जब ‘विक्रम' लैंडर का पृथ्वी पर स्थित स्टेशन से संपर्क टूट जाने के कारण चंद्रमा की सतह पर योजना के मुताबिक ‘सॉफ्ट लैंडिंग' नहीं हो पाई.
कुमारस्वामी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को सभी मामलों में केंद्र के सामने ‘लाचार' बताते हुए कहा कि राज्य और केंद्र सरकार में किसी में भी किसी बात के लिए प्रधानमंत्री से संपर्क करने का साहस नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि इसका एक उदाहरण वह है जब प्रधानमंत्री ने इसरो मुख्यालय में छह और सात सितंबर की दरम्यानी रात मौजूद मुख्यमंत्री और अन्य केंद्रीय मंत्रियों को वहां से जाने का इशारा किया.
कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री (येदियुरप्पा) और एक उप मुख्यमंत्री वहां गए थे... उनके साथ दो से तीन केंद्रीय मंत्री भी थे.'' उन्होंने कहा कि मोदी ने उन्हें वहां से जाने का इशारा किया और कहा कि उन्हें वहां रहने की आवश्यकता नहीं है और वे लोग वहां से चले आए.
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