नागपुर:
बंबई हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे तथा अन्य द्वारा शराब के उत्पादन में खाद्यान्न के प्रयोग को लेकर महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति वसंती नाइक और न्यायमूर्ति प्रसन्ना वरले की खंडपीठ ने बचाव पक्ष के वकील कार्तिक शुकुल की दलीलें सुनने के बाद इस याचिका को खारिज कर दिया। कार्तिक ने दलील दी कि सामाजिक कार्यकर्ता चेतन कांबली द्वारा पिछले साल इसी तरह की याचिका दायर की गई थी, लेकिन बंबई उच्च न्यायालय की प्रधान पीठ ने इसे खारिज कर दिया था। इस अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि खाद्यान्न से शराब बनाने की योजना 2009 में खत्म कर दी गई थी और इसके बाद किसी इकाई से नया आवंटन नहीं किया गया। याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार के उस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें सरकार ने प्रभावशाली नेताओं से जुड़े लोगों को खाद्यान्न से शराब बनाने के लाइसेंस जारी किए थे। याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय से मांग की थी कि वह महाराष्ट्र सरकार द्वारा इन परियोजनाओं को मदद देने के प्रस्ताव के फैसले पर निर्देश जारी करें।
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शराब उत्पादन, अन्ना हजारे, बंबई हाईकोर्ट