बीते दो साल से जंतर मंतर पर लगातार अपनी 19 साल की बेटी के लिए इंसाफ़ की गुहार लगा रहे माता-पिता के लिए मंगलवार को हाईकोर्ट से सुकून देनी वाली ख़बर आई।
कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकारार रखते हुए 2012 में दिल्ली के छावला इलाके में एक लड़की के साथ हुए गैंगरेप के मामले को जघन्यतम अपराध मानते हुए तीनों आरोपियों को मौत की सजा सुनाई है।
कोर्ट ने तीनों को बलात्कार, बेरहमी से कत्ल और सबूत मिटाने के अलावा अपहरण दोषी माना था।
क्या था मामला
ये मामला 9 फरवरी 2012 का है। जब दिल्ली के छावला इलाके में एक लड़की को इंडिका कार में सवार तीन लड़कों ने अगवाकर लिया था। घटना के विरोध में पीड़ित परिवार ने पड़ोसी आरोपियों के घर तोड़फोड़ के बाद आग लगा दी थी।
पुलिस ने चार दिन बाद लड़की का शव बेहद बुरी हालत में हरियाणा के रेवाड़ी से बरामद किया। जांच और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि दोषियों ने बलात्कार के बाद लड़की पर तेज़ाब डाला, उसे सिगरेट से जलाया, आंखों में गर्म पेंचकस डाला, गुप्तांगों में शराब की बोतल डाली और उसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी।
अदालत ने आरोपियों के कबूलनामे, गवाहों के बयान, डीएनए के मिलान और मोबाइल की लोकेशन को अहम सबूत मानते हुए फैसला सुनाया है।
जंतर मंतर से इंसाफ की मांग
निर्भया की तरह गंभीर इस मामले को लेकर लगातार इंसाफ़ की मांग हो रही थी। पीड़ित का परिवार और शुभचिंतक कई महीनों तक दिल्ली के जंतर-मंतर पर जुटकर इंसाफ की मांग कर रहे थे। इस मुहिम में परिवार का साथ कई सामाजिक संगठनों और एनजीओ ने भी दिया। पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता भी दी गई।
निचली अदालत ने बताया समाज के लिए खतरा
आरोपी राहुल, रवि और विनोद कई बार निचली अदालत में पीड़ित परिवार को धमकियां भी देते थे। निचली अदालत ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद तीनों दोषियों को मौत की ही सजा सुनाई थी। तब कोर्ट ने कहा था कि पीड़ित आरोपियों से रहम की भीख मांगती रही, लेकिन दोषियों को उस पर कोई तरस नहीं आया। ये लोग समाज के लिए एक बड़ा खतरा हैं।
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