हरियाणा में विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है. हर सीट पर सियासी चहलकदमी देखी जा रही है. राज्य में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. इनमें नीलोखेड़ी विधानसभा सीट भी अपना अहम स्थान रखती है. नीलोखेड़ी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, हरियाणा के करनाल जिले में स्थित एक विधान सभा क्षेत्र है. यह फरीदाबाद लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के अन्तर्गत आता है. नीलोखेड़ी को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने बसाया था वह इसे हरियाणा की राजधानी बनाना चाहते थे. नीलोखेड़ी का नक्शा चंडीगढ़ की तर्ज पर तैयार किया गया, लेकिन भौगोलिक स्थिति के चलते इसे राजधानी नहीं बनाया गया. मगर आज नीलोखेड़ी को जवाहरलाल की बेटी के रूप में जाना जाता है. कहते हैं कि इस क्षेत्र को बंटवारे के दौरान 1948 में पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को रखने के लिए भी बसाया गया था.
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साल 1967 में पहली बार नीलोखेड़ी को विधानसभा सीट के लिए गठित किया गया था. यहां से पहली बार भारतीय जनसंघ के एस राम, विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे थे. मौजूदा स्थिति में यहां से बीजेपी के भगवान दास कबीर पंथी विधायक हैं. 2014 के विधानसभा चुनावों में भगवान दास कबीर पंथी ने आईएनएलडी के मामू राम को 34410 वोटों के अंतर से हराया था. अब तक चुनावी इतिहास को देखें तो नीलोखेड़ी की जनता का विश्वास किसी एक पार्टी पर नहीं रहा बल्कि प्रत्याशियों पर रहा है. 1967 से लेकर 2014 तक के विधानसभा चुनावों में चार बार निर्दलीय उम्मीदवारों को विधायक बनने का मौका मिल चुका है.
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2011 की जनगणना के तहत इस क्षेत्र की आबादी 17,938 है. यहां मुख्यत: हिंदू और सिख धर्म के लोग रहते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार आबादी में हिंदू धर्म के 81.5 फीसदी और सिख धर्म के 16 फीसदी लोग रहते हैं, जबकि आबादी में मुस्लिम 0.84 प्रतिशत और ईसाई 1.17 प्रतिशत हैं. क्षेत्र के लैंगिक अनुपात की बात करें तो यह 817 है. वहीं नीलोखेड़ी में साक्षरता दर 83 फीसदी है. यहां कई बड़े शैक्षिक संस्थान भी हैं.
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