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This Article is From Sep 18, 2020

किसान विधेयक : हरसिमरत कौर के इस्तीफे से दुष्यंत चौटाला पर बढ़ा दबाव, कांग्रेस बोली- कुर्सी ज्यादा प्यारी

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला (Randeep Singh Surjewala) ने ट्वीट किया, 'दुष्यंत जी हरसिमरत कौर बादल की तरह आपको भी कम से कम डिप्टी सीएम की पोस्ट से इस्तीफा दे देना चाहिए. आपको किसानों से ज्यादा अपनी कुर्सी प्यारी है.'

किसान विधेयक : हरसिमरत कौर के इस्तीफे से दुष्यंत चौटाला पर बढ़ा दबाव, कांग्रेस बोली- कुर्सी ज्यादा प्यारी
दुष्यंत चौटाला हरियाणा के डिप्टी सीएम हैं. (फाइल फोटो)
चंडीगढ़:

सरकार के कृषि विधेयकों को लेकर केंद्र की राष्‍ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार में मतभेद साफ तौर उभरते नजर आ रहे हैं. NDA में बीजेपी के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (SAD) के कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Badal) ने गुरुवार को इस्‍तीफा दे दिया. जिसके बाद NDA के एक और सहयोगी जननायक जनता पार्टी (JJP) पर साथ छोड़ने का दबाव बढ़ रहा है. हरियाणा में BJP और JJP की सरकार है. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला (Randeep Singh Surjewala) ने ट्वीट किया, 'दुष्यंत जी हरसिमरत कौर बादल की तरह आपको भी कम से कम डिप्टी सीएम की पोस्ट से इस्तीफा दे देना चाहिए. आपको किसानों से ज्यादा अपनी कुर्सी प्यारी है.'

वहीं इस मामले में कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने ट्वीट किया, 'पंजाब के अकाली दल, AAP ने संसद में कांग्रेस के साथ किसान विरोधी 3 अध्यादेशों का विरोध करने का साहस दिखाया, पर दुर्भाग्य कि हरियाणा के BJP, JJP नेता सत्ता-सुख के लिए किसान से विश्वासघात करने लगे हुए हैं. जब पंजाब के सब दल किसान के पक्ष में एक हो सकते हैं तो हरियाणा BJP-JJP क्यूँ नहीं? अकाली हरसिमरत जी के इस्तीफे के बाद इस प्रश्न को और बल मिलता है- जब पंजाब के सारे दल किसान के पक्ष में एक होकर केंद्र के इन किसान-घातक अध्यादेशों के विरोध में आ सकते हैं तो हरियाणा के सत्तासीन BJP-JJP नेता क्यूँ किसान से विश्वासघात कर रहे हैं? किसान-हित से ऊपर सत्ता-लोभ.'

पंजाब में अकाली दल और हरियाणा में JJP में एक से ज्यादा समानताएं हैं. राजनैतिक रिश्तों की बात करें तो बादल परिवार और चौटाला परिवार पारिवारिक मित्र हैं. किसान अध्यादेश का विरोध करने के दौरान सुखबीर सिंह बादल ने बड़े किसान नेता देवीलाल को भी याद किया था. यह भी माना जाता है कि हरियाणा में BJP और JJP का गठबंधन कराने में बादल परिवार का अहम रोल था. SAD और JJP, दोनों ही पार्टियों का अपना ग्रामीण वोट बैंक है. किसान इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं. JJP इस किसान बिल का समर्थन कर रही है और उसने कांग्रेस पर किसानों को बहकाने का आरोप लगाया है, लेकिन अब किसानों के मुद्दे पर पार्टी में अंदरुनी कलह बढ़ती जा रही है.

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10 सितंबर को किसान कुरुक्षेत्र जिले में इस विधेयक का विरोध करने को रैली के लिए पहुंचे थे. पुलिस ने उन्हें रोक दिया था और किसानों पर लाठीचार्ज किया गया. कई किसान गंभीर रूप से घायल हुए. जिसके बाद विपक्ष ने किसानों की आवाज दबाने की बात कहते हुए सरकार पर हमला बोला. हरियाणा सरकार को समर्थन दे रहे JJP विधायक भी अब आशंकित नजर आ रहे हैं. उन्होंने पीपली में हुए किसानों पर हमले को निंदनीय बताया. उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए कि पहले उनको (किसानों) रोका गया और बाद में इजाजत दे दी गई.

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JJP विधायक देवेंद्र बबली ने पार्टी में बदलाव की मांग की है. उन्होंने कहा, 'पार्टी के 10 विधायक असंतुष्ट हैं.' बबली JJP विधायक रामकुमार गौतम के बाद दूसरे ऐसे विधायक हैं, जिन्होंने पार्टी में दुष्यंत चौटाला की अगुवाई में असंतुष्टि जाहिर की है. दुष्यंत राज्य के उप-मुख्यमंत्री हैं. पिछले हफ्ते बबली की एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसमें वह विभागीय अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगा रहे थे. लाठीचार्ज मामले में जहां दुष्यंत चौटाला ने जांच के आदेश दिए जाने की बात कही है, तो वहीं हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कुरुक्षेत्र में किसी तरह का लाठीचार्ज होने से ही इंकार किया है. उनके इंकार के बाद किसानों ने उनके आवास के बाहर प्रदर्शन किया.

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राजनैतिक नुकसान को देखते हुए JJP ने लाठीचार्ज को लेकर किसानों से माफी मांगी है. दुष्यंत चौटाला के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला जोकि JJP की यूथ विंग INSO के अध्यक्ष हैं, ने कहा, 'किसानों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर JJP माफी मांगती है. JJP हमेशा किसानों के साथ है और किसानों के हित की बात पार्टी के लिए सबसे ऊपर है. किसानों पर हुए लाठीचार्ज के वीडियो को देखने के बाद हमने सबसे पहले इसकी निंदा की क्योंकि ये गलत था.' बता दें कि दुष्यंत चौटाला ने अभी तक इस किसान विधेयक का विरोध नहीं किया है. यह बिल गुरुवार को लोकसभा में पारित हो चुका है. बहरहाल यह पहला मौका है जब पार्टी बैकफुट पर नजर आ रही है, लेकिन एक सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या किसानों का दिल जीतने के लिए चौटाला परिवार भी बादल परिवार के नक्शेकदम पर चलेगा.

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