'समय आने पर दूंगा जवाब, अभी सिर्फ मजे लें' : 'हाथ-पैर बांधने' वाले ट्वीट पर बोले हरीश रावत, कांग्रेस बेचैन

अगले साल होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से कांग्रेस नेता हरीश रावत की टिप्पणी ने कांग्रेस नेतृत्व के लिए नई चुनौती खड़ कर दी है.

'समय आने पर दूंगा जवाब, अभी सिर्फ मजे लें' : 'हाथ-पैर बांधने' वाले ट्वीट पर बोले हरीश रावत, कांग्रेस बेचैन

हरीश रावत के स्टैंड से कांग्रेस में बेचैनी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) के सिलसिलेवार ट्वीट से सियासत गरमा गई है. हरीश रावत ने आज अपनी पार्टी के लिए और परेशानी भरे संकेत दिए. उन्होंने अपने ट्वीट पर सफाई देने के बजाये संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि वह "समय आने पर बोलेंगे यानी जवाब देंगे." रावत के ट्वीट को कांग्रेस नेतृत्व के प्रति नाराजगी के तौर पर देखा जा रहा है. 

अगले साल होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के चेहरे के रूप में देखे जा रहे हरीश रावत ने कल कहा, "वह ऐसा महसूस कर रहे हैं कि उनके हाथ-पैर बांधे जा रहे हैं, ऐसा लगता है कि अब विश्राम करने का समय आ गया है." साथ ही कहा, मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे."

रावत के ट्वीट के बाद आज पत्रकारों ने उनसे सवाल पूछे. पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "समय आने पर, मैं आपके साथ सब कुछ साझा करूंगा. अगर मैं आपसे बात नहीं करूंगा तो मैं और किससे बात करूंगा? मैं आपको फोन करूंगा. अभी के लिए, बस मजे लीजिए." रावत की इस टिप्पणी से कांग्रेस नेतृत्व की चिंता और बढ़ सकती है. 

रावत के ट्वीट पर कांग्रेस के असंतुष्ट धड़े जी-23 के अहम सदस्य मनीष तिवारी ने प्रतिक्रिया दी और अपनी ही पार्टी पर तंज कसा. मनीष तिवारी ने ट्वीट किया, "पहले असम, फिर पंजाब, अब उत्तराखंड...भोग पूरा ही पाउण गे, कसर न रह जावे कोई'.

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गांधी परिवार के विश्वस्त और कांग्रेस के संकटमोचक माने जाने वाले हरीश रावत ने अपने ट्वीट्स से आलाकमान को परेशान कर दिया. हालांकि, उन्होंने ट्वीट में किसी का नाम तो नहीं लिया लेकिन उनका इशारा शीर्ष नेतृत्व की तरफ ही माना जा रहा है. पार्टी जहां राज्य की सत्ता में आने का आश्वस्त थी अब उसके सामने संकट खड़ा हो गया है.

हरीश रावत ने कल ट्विटर पर लिखा, 'जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं. जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं. मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है!'

वहीं, हरीश रावत ने बदलाव के भी संकेत दिए हैं. उन्होंने लिखा, "फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है 'न दैन्यं न पलायनम्' बड़ी उपापोह की स्थिति में हूं, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे. मुझे विश्वास है कि भगवान_केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे." 

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