भोपाल:
मध्य प्रदेश के हरदा में चल रहे जल सत्याग्रह को सरकार ने जबरिया खत्म कराने में सफलता पाई है। पानी में बैठे 244 सत्याग्रहियों को गिरफ्तार करने के बाद निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया है। प्रशासन की इस कार्रवाई के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं व आंदोलनकारियों के समर्थकों ने मिलकर हरदा कलेक्टेट में जमकर हंगामा किया।
नर्मदा नदी पर बने इंदिरा सागर बांध का जलस्तर 260 मीटर से 262 मीटर किए जाने से कई गांव डूब क्षेत्र में आ गए है और फसलें बर्बाद हो गई हैं। प्रभावित परिवार पुनर्वास व जमीन के बदले जमीन की मांग को लेकर खरदना गांव के करीब नर्मदा नदी में पिछले 14 दिन से जल सत्याग्रह कर रहे थे। सरकार ने दो दिन पहले साफ कर दिया था कि हरदा मसले पर कोई बात नहीं करना चाहतीं, वहीं जिला प्रशासन सर्वेक्षण आदि का हवाला देता आ रहा था।
जिला प्रशासन ने मंगलवार को खरदना में निषेधाज्ञा 144 लागू कर जल सत्याग्रहियों से मौके से हटने की अपील की थी, मगर वे नहीं हटे। बुधवार की सुबह मौके पर पहुंचे। पुलिस ने सत्याग्रहियों को गिरफ्तार कर लिया। बाद में उन्हें हरदा चिकित्सकीय परीक्षण के लिए लाया गया।
पुलिस महानिरीक्षक अजय शर्मा ने बताया है कि खरदना से कुल 244 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें 103 महिलाएं व 243 पुरुष हैं। शाम को सभी को निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया है। इन आंदोलनकारियों ने निषेधाज्ञा का पालन नहीं किया था और उसी के चलते उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
वहीं नर्मदा बचाओ आंदोलन के आलोक अग्रवाल का आरोप है कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना कर रही है, लिहाजा उनकी ओर से सर्वोच्च न्यायालय में मानहानि का प्रकरण दर्ज किया जाएगा। वहीं 13 सितम्बर को खंडवा में राज्य सरकार की समिति के सामने अपना पक्ष रखेंगे।
राज्य सरकार के गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने खंडवा में संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि जल सत्याग्रह करने वालों की जीवन रक्षा के लिए हरदा के प्रशासन ने कार्रवाई की है। सरकार प्रभावितों से हर संभव चर्चा को तैयार है और इसके लिए तीन मंत्रियों को मिलाकर समिति भी बनाई है।
जल सत्याग्रहियों की गिरफ्तारी के बाद दोपहर को कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह खरदना गांव पहुंचे, तथा उनसे चर्चा की और आंदोलनकारियों के समर्थन में भूरिया पानी में ही बैठ गए। इतना ही नहीं भूरिया ने तो जिला प्रशासन की कार्रवाई को हिटलरशाही करार दिया है।
कांग्रेस के नेताओं ने बाद में कलेक्टेट पहुंचकर प्रदर्शन किया। जब कलेक्टेट के द्वार पर ताला लगाया गया तो सब गुस्से में आ गए और उन्होंने ताला ही तोड दिया। हरदा कलेक्टेट में तनाव का माहौल बना रहा। कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर दमनकारी नीति अपनाने का आरोप लगाया। साथ ही सरकार के किसान हितैशी दावों पर भी सवाल उठाए।
ज्ञात हो कि राज्य में खंडवा में ओंकारेश्वर व हरदा में इंदिरा सागर का इस वर्ष जल स्तर बढ़ाया गया है। इससे कई गांव डूबने की कगार पर हैं। इसी के विरोध व अपनी मांगों को लेकर दोनों स्थानों पर जल सत्याग्रह चल रहा था। ओंकारेश्वर के जल सत्याग्रह पर सरकार ने मांगे मानकर खत्म करा दिया मगर इंदिरा सागर पर कोई चर्चा नहीं की। इतना ही नहीं आंदोलनकारियों पर सरकार पर ब्लैकमेल करने के आरोप तक लगे।
नर्मदा नदी पर बने इंदिरा सागर बांध का जलस्तर 260 मीटर से 262 मीटर किए जाने से कई गांव डूब क्षेत्र में आ गए है और फसलें बर्बाद हो गई हैं। प्रभावित परिवार पुनर्वास व जमीन के बदले जमीन की मांग को लेकर खरदना गांव के करीब नर्मदा नदी में पिछले 14 दिन से जल सत्याग्रह कर रहे थे। सरकार ने दो दिन पहले साफ कर दिया था कि हरदा मसले पर कोई बात नहीं करना चाहतीं, वहीं जिला प्रशासन सर्वेक्षण आदि का हवाला देता आ रहा था।
जिला प्रशासन ने मंगलवार को खरदना में निषेधाज्ञा 144 लागू कर जल सत्याग्रहियों से मौके से हटने की अपील की थी, मगर वे नहीं हटे। बुधवार की सुबह मौके पर पहुंचे। पुलिस ने सत्याग्रहियों को गिरफ्तार कर लिया। बाद में उन्हें हरदा चिकित्सकीय परीक्षण के लिए लाया गया।
पुलिस महानिरीक्षक अजय शर्मा ने बताया है कि खरदना से कुल 244 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें 103 महिलाएं व 243 पुरुष हैं। शाम को सभी को निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया है। इन आंदोलनकारियों ने निषेधाज्ञा का पालन नहीं किया था और उसी के चलते उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
वहीं नर्मदा बचाओ आंदोलन के आलोक अग्रवाल का आरोप है कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना कर रही है, लिहाजा उनकी ओर से सर्वोच्च न्यायालय में मानहानि का प्रकरण दर्ज किया जाएगा। वहीं 13 सितम्बर को खंडवा में राज्य सरकार की समिति के सामने अपना पक्ष रखेंगे।
राज्य सरकार के गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने खंडवा में संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि जल सत्याग्रह करने वालों की जीवन रक्षा के लिए हरदा के प्रशासन ने कार्रवाई की है। सरकार प्रभावितों से हर संभव चर्चा को तैयार है और इसके लिए तीन मंत्रियों को मिलाकर समिति भी बनाई है।
जल सत्याग्रहियों की गिरफ्तारी के बाद दोपहर को कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह खरदना गांव पहुंचे, तथा उनसे चर्चा की और आंदोलनकारियों के समर्थन में भूरिया पानी में ही बैठ गए। इतना ही नहीं भूरिया ने तो जिला प्रशासन की कार्रवाई को हिटलरशाही करार दिया है।
कांग्रेस के नेताओं ने बाद में कलेक्टेट पहुंचकर प्रदर्शन किया। जब कलेक्टेट के द्वार पर ताला लगाया गया तो सब गुस्से में आ गए और उन्होंने ताला ही तोड दिया। हरदा कलेक्टेट में तनाव का माहौल बना रहा। कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर दमनकारी नीति अपनाने का आरोप लगाया। साथ ही सरकार के किसान हितैशी दावों पर भी सवाल उठाए।
ज्ञात हो कि राज्य में खंडवा में ओंकारेश्वर व हरदा में इंदिरा सागर का इस वर्ष जल स्तर बढ़ाया गया है। इससे कई गांव डूबने की कगार पर हैं। इसी के विरोध व अपनी मांगों को लेकर दोनों स्थानों पर जल सत्याग्रह चल रहा था। ओंकारेश्वर के जल सत्याग्रह पर सरकार ने मांगे मानकर खत्म करा दिया मगर इंदिरा सागर पर कोई चर्चा नहीं की। इतना ही नहीं आंदोलनकारियों पर सरकार पर ब्लैकमेल करने के आरोप तक लगे।
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