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This Article is From Sep 02, 2020

संसद में प्रश्नकाल के मुद्दे पर विपक्ष को मिली आधी जीत, लिखित उत्तर दिए जाएंगे

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने NDTV से कहा- यह अच्छा नहीं है कि सहमत होने के बाद नेता सार्वजनिक रूप से यह कहना शुरू कर देते हैं कि वे सहमत नहीं हैं

संसद में प्रश्नकाल के मुद्दे पर विपक्ष को मिली आधी जीत, लिखित उत्तर दिए जाएंगे
संसद भवन.
नई दिल्ली:

संसद के आगामी सत्र में प्रश्नकाल समाप्त करने पर भारी हंगामे के बाद सरकार ने कहा है कि वह "अतारांकित प्रश्न" (Unstarred Questions) की इजाजत देगी, जिसका अर्थ है कि लिखित उत्तर प्राप्त होंगे. सरकार के इस दावे के बाद यह मोड़ आया कि विपक्ष के नेताओं के साथ चर्चा के बाद ही प्रश्नकाल रोका गया था. उस समय तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ 'ब्रायन के अलावा किसी ने आपत्ति नहीं जताई थी. एनडीटीवी से यह बात केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कही है. उन्होंने कहा है कि लोकसभा में टीएमसी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने इस कदम पर सहमति जताई है. संसदीय कार्य मंत्री ने NDTV को बताया कि "यह अच्छा नहीं है कि सहमत होने के बाद नेता सार्वजनिक रूप से यह कहना शुरू कर देते हैं कि वे सहमत नहीं हैं."

पांच माह के अंतराल के बाद 14 सितंबर को शुरू हो रहे संसद के संक्षिप्त सत्र में प्रश्नकाल स्थगित करने की योजना है. इस पर कई नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है.   

सत्र के रोज के समय में लगभग चार घंटे की कटौती के साथ सरकार ने प्राइवेट मेंबर के बिजनेस को रोक दिया है. सांसदों द्वारा लाए जाने वाले बिलों के लिए एक घंटे का समय निर्धारित किया गया है. शून्य काल (Zero Hour) में सदस्य सार्वजनिक महत्व के मामले उठा सकेंगे. इसे 30 मिनट तक सीमित कर दिया गया है.

विपक्ष का तर्क है कि इससे उसे उन मामलों को उठाने और चर्चा करने का अवसर नहीं मिलता है, जिन्हें वे महत्वपूर्ण मानते हैं. इस मामले में सबसे मुखर डेरेक ओ ब्रायन हुए, जिन्होंने सरकार पर कोरोना वायरस के नाम पर "लोकतंत्र की हत्या" करने का आरोप लगाया.

डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया ''सांसदों को प्रश्नकाल के लिए अपने प्रश्न 15 दिन पहले जमा करने होंगे. संसदीय सत्र 14 सितंबर को शुरू होगा. इसलिए प्रश्नकाल स्थगित? विपक्ष के सासंदों ने सरकार से सवाल करने का अधिकार खो दिया है. 1950 के बाद पहली बार? संसद का सारे कामकाज का समय एक जैसा रहता है, तो फिर प्रश्नकाल रद्द क्यों किया? लोकतंत्र की हत्या के लिए महामारी का बहाना. ” 

प्रह्लाद जोशी ने आज कहा कि ''प्रश्नकाल स्थगित करने के लिए हमने चर्चा की थी और डेरेक ओ ब्रायन के अलावा सबके सहमत होने पर ही नोटिफिकेशन जारी किया था.''  

उनका तर्क है कि प्रत्येक नेता को समझाया गया था कि मंत्रालयों से संबंधित प्रत्येक प्रश्न के लिए संसद परिसर में बड़ी संख्या में अधिकारियों का उपस्थित होना आवश्यक है. प्रश्नकाल में प्रत्येक दिन 20 प्रश्न सूचीबद्ध होते हैं. उन्होंने कहा कि बार-बार सफाई की समस्या होगी जो कि काफी समय लेने वाली है. लेकिन ज्यादातर नेता, खासकर बुजुर्ग, चाहते थे कि सदन जल्द से जल्द उठे. उन्होंने कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है.

जोशी ने कहा कि ''राजनाथ सिंह और मैंने सभी वरिष्ठ नेताओं से बात की. हमने सभी बड़ी और छोटी  पार्टियों से बात की. सिवा डेरेक ओ ब्रायन किसी ने आपत्ति नहीं उठाई. सभी ने कहा कि महामारी के हालात में हम सहमत हैं. सुदीप बंदोपाध्याय जो कि संसद में तृणमूल कांग्रेस नेता हैं, सहमत हैं.''

मंत्री ने यह भी कहा कि कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, जनता दल सेक्युलर के प्रमुख एचडी देवेगौड़ा और एनसीपी के शरद पवार जैसे विपक्ष के नेता भी सहमत हैं.  

लेकिन कुछ ही समय बाद कांग्रेस के आनंद शर्मा ने फैसले को "मनमाना, चौंकाने वाला और अलोकतांत्रिक" बताते हुए ट्वीट किया. शर्मा ने ट्वीट किया, "संसद सत्र केवल सरकारी कामकाज के लिए ही नहीं बल्कि सरकार की जांच और जवाबदेही के लिए भी है."

एक अन्य ट्वीट में कहा गया कि "संसद का विलंबित मानसून सत्र लॉकडाउन और चरणबद्ध अनलॉकिंग के बाद विशेष महत्व का है. प्रश्नकाल बंद करने का प्रस्ताव मनमाना, चौंकाने वाला और अलोकतांत्रिक है. यह सदस्यों का विशेषाधिकार है." 

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