नई दिल्ली:
केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया है कि उसने हज यात्रा पर जाने वाले मुस्लिमों को सरकारी सब्सिडी के संबंध में वर्तमान ‘पांच साल में एक बार’ की नीति को बदलते हुए ‘जीवन में एक बार’ की नीति अपनाने का फैसला किया है।
शीर्ष अदालत के समक्ष पेश हलफनामे में सरकार ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए नये दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं कि कभी हज पर नहीं गए आवेदकों को प्राथमिकता दी जाए।
केन्द्र ने कहा कि यह बड़ा बदलाव है जिसे पहली बार पेश किया गया है कि भारतीय हज समिति (एचसीओआई) के जरिये आवेदन करने वाले हज तीर्थयात्रियों की संख्या वर्तमान ‘पांच साल में एक बार’ की नीति की जगह ‘जीवन में एक बार’ की नीति से सीमित की जाए।
केन्द्र ने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि हाजी जीवन में केवल एक बार सरकारी सब्सिडी का फायदा उठा पाएं। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि प्राथमिकता उन आवेदकों को दी जाए जो कभी हज पर नहीं गए हैं।
हालांकि सरकार ने वर्ष 2012 में उसकी ओर से हज सब्सिडी के रूप में व्यय की जाने वाली रकम का खुलासा नहीं किया। सरकार ने कहा कि वर्ष 2012 की भारतीय हज समिति के जरिये जाने वाले तीर्थयात्रियों को दी जाने वाली यात्रा सब्सिडी के संबंध में सही आंकड़ा हाजियों की हज यात्रा पूरी होने और उनके भारत लौटने पर ही पता चलेगा।
सरकार के अनुसार, 70 से अधिक उम्र के सदस्यों और सब्सिडी के लिए पहले तीन बार असफल आवेदन करने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। केन्द्र का यह हलफनामा ऐसे समय आया है जब शीर्ष अदालत ने 24 फरवरी को इस संबंध में कई सवाल उठाए थे।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने केन्द्र को निर्देश दिया था कि उसके द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी और राज्य समितियों को सीटों के आवंटन के तौरतरीके की विस्तृत जानकारी दी जाए।
उच्चतम न्यायालय ने तीर्थयात्रियों के साथ आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल भेजने की परंपरा पर सवाल उठाये और केन्द्र से हज सब्सिडी के संबंध में पूरी जानकारी देने के लिए कहा था।
शीर्ष अदालत केन्द्र की ओर से पेश उस अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें बंबई उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती दी गई थी। बंबई उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया था कि कुछ निजी पर्यटकों को सरकार द्वारा सब्सिडी प्राप्त वीआईपी कोटे के तहत शामिल 11 हजार तीर्थयात्रियों में 800 को सेवाएं देने की अनुमति दी जाए।
इससे पहले पीठ ने तीर्थयात्रियों के साथ आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल भेजने की अनुमति देकर वार्षिक हज यात्रा का ‘राजनीतिकरण’ करने पर केन्द्र की खिंचाई की थी।
शीर्ष अदालत के समक्ष पेश हलफनामे में सरकार ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए नये दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं कि कभी हज पर नहीं गए आवेदकों को प्राथमिकता दी जाए।
केन्द्र ने कहा कि यह बड़ा बदलाव है जिसे पहली बार पेश किया गया है कि भारतीय हज समिति (एचसीओआई) के जरिये आवेदन करने वाले हज तीर्थयात्रियों की संख्या वर्तमान ‘पांच साल में एक बार’ की नीति की जगह ‘जीवन में एक बार’ की नीति से सीमित की जाए।
केन्द्र ने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि हाजी जीवन में केवल एक बार सरकारी सब्सिडी का फायदा उठा पाएं। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि प्राथमिकता उन आवेदकों को दी जाए जो कभी हज पर नहीं गए हैं।
हालांकि सरकार ने वर्ष 2012 में उसकी ओर से हज सब्सिडी के रूप में व्यय की जाने वाली रकम का खुलासा नहीं किया। सरकार ने कहा कि वर्ष 2012 की भारतीय हज समिति के जरिये जाने वाले तीर्थयात्रियों को दी जाने वाली यात्रा सब्सिडी के संबंध में सही आंकड़ा हाजियों की हज यात्रा पूरी होने और उनके भारत लौटने पर ही पता चलेगा।
सरकार के अनुसार, 70 से अधिक उम्र के सदस्यों और सब्सिडी के लिए पहले तीन बार असफल आवेदन करने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। केन्द्र का यह हलफनामा ऐसे समय आया है जब शीर्ष अदालत ने 24 फरवरी को इस संबंध में कई सवाल उठाए थे।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने केन्द्र को निर्देश दिया था कि उसके द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी और राज्य समितियों को सीटों के आवंटन के तौरतरीके की विस्तृत जानकारी दी जाए।
उच्चतम न्यायालय ने तीर्थयात्रियों के साथ आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल भेजने की परंपरा पर सवाल उठाये और केन्द्र से हज सब्सिडी के संबंध में पूरी जानकारी देने के लिए कहा था।
शीर्ष अदालत केन्द्र की ओर से पेश उस अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें बंबई उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती दी गई थी। बंबई उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया था कि कुछ निजी पर्यटकों को सरकार द्वारा सब्सिडी प्राप्त वीआईपी कोटे के तहत शामिल 11 हजार तीर्थयात्रियों में 800 को सेवाएं देने की अनुमति दी जाए।
इससे पहले पीठ ने तीर्थयात्रियों के साथ आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल भेजने की अनुमति देकर वार्षिक हज यात्रा का ‘राजनीतिकरण’ करने पर केन्द्र की खिंचाई की थी।
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