प्रतीकात्मक चित्र
अहमदाबाद:
गुजरात हाईकोर्ट ने गैंगरेप की शिकार शिकार एक महिला की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपना गर्भपात कराने की मांग की थी, क्योंकि उसका पति पैदा होने वाली संतान को स्वीकारने का इच्छुक नहीं है। महिला 28 सप्ताह के गर्भ से है।
सौराष्ट्र की रहने वाली इस महिला ने 16 मार्च को एफआईआर दर्ज कराई थी कि पिछले साल जुलाई में उसको घर के बाहर से अगवा कर सात लोगों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और करीब 10 महीने तक उसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता रहा।
जब वह पुलिस के पास पहुंची तो वह 24 हफ्ते के गर्भ से थी। एक निचली अदालत ने गर्भपात कराने की मांग वाली उसकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि इससे उसकी जान को खतरा हो सकता है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।
हाईकोर्ट के जस्टिस जेबी परदीवाला ने महिला की याचिका को खारिज करते हुए उन कानूनों पर जोर दिया, जो 20 सप्ताह के गर्भ के बाद गर्भपात कराने की इजाजत नहीं देते, क्योंकि ऐसा करने से महिला की जिंदगी को खतरा पैदा हो सकता है।
हाईकोर्ट ने बोटाण जिले के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह बलात्कार के इस मामले की जांच खुद अपने हाथों में लें। अदालत ने जिला कलेक्टर को भी निर्देश दिया कि वह इस पीड़ित महिला के परिजन पर नजर बनाए रखें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पैदा होने वाली संतान को सभी चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
बलात्कार की शिकार एक अन्य महिला को उद्धृत करते हुए न्यायमूर्ति परदीवाला ने कहा कि बलात्कार के कारण पैदा हुई नकारात्मक भावनाओं को गर्भपात के जरिए नहीं खत्म किया जा सकता। (इनपुट भाषा से भी)
सौराष्ट्र की रहने वाली इस महिला ने 16 मार्च को एफआईआर दर्ज कराई थी कि पिछले साल जुलाई में उसको घर के बाहर से अगवा कर सात लोगों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और करीब 10 महीने तक उसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता रहा।
जब वह पुलिस के पास पहुंची तो वह 24 हफ्ते के गर्भ से थी। एक निचली अदालत ने गर्भपात कराने की मांग वाली उसकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि इससे उसकी जान को खतरा हो सकता है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा।
हाईकोर्ट के जस्टिस जेबी परदीवाला ने महिला की याचिका को खारिज करते हुए उन कानूनों पर जोर दिया, जो 20 सप्ताह के गर्भ के बाद गर्भपात कराने की इजाजत नहीं देते, क्योंकि ऐसा करने से महिला की जिंदगी को खतरा पैदा हो सकता है।
हाईकोर्ट ने बोटाण जिले के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह बलात्कार के इस मामले की जांच खुद अपने हाथों में लें। अदालत ने जिला कलेक्टर को भी निर्देश दिया कि वह इस पीड़ित महिला के परिजन पर नजर बनाए रखें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पैदा होने वाली संतान को सभी चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
बलात्कार की शिकार एक अन्य महिला को उद्धृत करते हुए न्यायमूर्ति परदीवाला ने कहा कि बलात्कार के कारण पैदा हुई नकारात्मक भावनाओं को गर्भपात के जरिए नहीं खत्म किया जा सकता। (इनपुट भाषा से भी)
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