
गुजरात की एमएस यूनिवर्सिटी की वार्षिक डायरी में प्रकाशित तथ्यों को लेकर विवाद शुरू हो गया है.
- गुजरात का प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी
- यूनिवर्सिटी ने कई तथ्य दीनानाथ बत्रा की विवादास्पद पुस्तक से लिए
- छात्रों को गुमराह करने और शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप
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अहमदाबाद:
गुजरात की सबसे अच्छी मानी जाने वाली महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी आजकल अपनी वार्षिक डायरी की वजह से विवादों में है. इस डायरी में सौंदर्य सर्जरी या कॉस्मेटिक सर्जरी का जनक ऋषि सुश्रुत को बताया गया है. डायरी में लिखा है कि आचार्य कणद न्युक्लियर टेक्नालॉजी के जनक रहे, ब्रह्मांड विज्ञान की खोज कपिल मुनि ने की. इसके अलावा राकेट और हवाई जहाज की खोज महर्षि भारद्वाज ने की. आयुर्विज्ञान के पिता चरक ऋषि थे तो सितारों के विज्ञान की खोज गर्ग मुनि ने की थी.
यूनिवर्सिटी ने यह तथ्य दीनानाथ बत्रा की विवादास्पद पुस्तक से लिए हैं. यूनिवर्सिटी का कहना है कि फैसला राजनैतिक नहीं था लेकिन सिंडीकेट की सिफारिश पर लिया गया. एमएस यूनिवर्सिटी के सिंडीकेट सदस्य जिग्नेश सोनी का कहना है कि इसमें कोई भगवाकरण करने वाली बात ही नहीं है. यह बिल्कुल तथ्यहीन आरोप है. आर्यभट्ट और भास्कराचार्य के नाम के उपग्रह जो छोड़े थे वे यूपीए के शासन के वक्त छोड़े गए थे.
हालांकि डायरी में लिए गए तथ्यों को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ है. शिक्षा से जुड़े कई लोग इसे छात्रों को गुमराह करने और शिक्षा के भगवाकरण की दिशा में कदम बढ़ाना मान रहे हैं.
यूनिवर्सिटी लंबे समय से लगातार कलाकारों पर हमलों और अन्य घटनाओं से विवाद में रही है. हाल ही में राजनीति में जाति विषय पर होने वाली एक वर्कशाप भी रद्द कर दी गई थी. इसकी वजह बताई गई थी कि रामजस कॉलेज में जो घटना हुई है वैसी घटना यहां भी हो सकती है. तभी से यूनिवर्सिटी में संवैधानिक अधिकारों के हनन के आरोप लग रहे हैं. साथ ही यूनिवर्सिटी प्रशासन पर हिंदूवादी संगठनों के दबाव में काम करने के आरोप लग रहे हैं.
यूनिवर्सिटी ने यह तथ्य दीनानाथ बत्रा की विवादास्पद पुस्तक से लिए हैं. यूनिवर्सिटी का कहना है कि फैसला राजनैतिक नहीं था लेकिन सिंडीकेट की सिफारिश पर लिया गया. एमएस यूनिवर्सिटी के सिंडीकेट सदस्य जिग्नेश सोनी का कहना है कि इसमें कोई भगवाकरण करने वाली बात ही नहीं है. यह बिल्कुल तथ्यहीन आरोप है. आर्यभट्ट और भास्कराचार्य के नाम के उपग्रह जो छोड़े थे वे यूपीए के शासन के वक्त छोड़े गए थे.
हालांकि डायरी में लिए गए तथ्यों को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ है. शिक्षा से जुड़े कई लोग इसे छात्रों को गुमराह करने और शिक्षा के भगवाकरण की दिशा में कदम बढ़ाना मान रहे हैं.
यूनिवर्सिटी लंबे समय से लगातार कलाकारों पर हमलों और अन्य घटनाओं से विवाद में रही है. हाल ही में राजनीति में जाति विषय पर होने वाली एक वर्कशाप भी रद्द कर दी गई थी. इसकी वजह बताई गई थी कि रामजस कॉलेज में जो घटना हुई है वैसी घटना यहां भी हो सकती है. तभी से यूनिवर्सिटी में संवैधानिक अधिकारों के हनन के आरोप लग रहे हैं. साथ ही यूनिवर्सिटी प्रशासन पर हिंदूवादी संगठनों के दबाव में काम करने के आरोप लग रहे हैं.
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