विरोध प्रकट करने के अधिकार के लिये दिशानिर्देशों की आवश्यकता है : सुप्रीम कोर्ट

जंतर मंतर समेत सेंट्रल दिल्ली में धरना प्रदर्शन पर रोक का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों के शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन के मौलिक अधिकार और कानून व्यवस्था बनाए रखने के बीच संतुलन जरूरी है.

विरोध प्रकट करने के अधिकार के लिये दिशानिर्देशों की आवश्यकता है : सुप्रीम कोर्ट

भारतीय सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आज कहा कि विरोध प्रकट करने के नागरिकों के मौलिक अधिकार और कानून व्यवस्था बनाये रखने के बीच संतुलन सुनिश्चित करने के लिये विरोध के अधिकार के मुद्दे पर दिशानिर्देश तैयार किये जाने चाहिए. जंतर मंतर समेत सेंट्रल दिल्ली में धरना प्रदर्शन पर रोक का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों के शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन के मौलिक अधिकार और कानून व्यवस्था बनाए रखने के बीच संतुलन जरूरी है.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि धरने प्रदर्शन को नियंत्रत करने को लेकर गाइडलाइन के लिए केंद्र सरकार और पुलिस सिफारिशें दाखिल करें. कोर्ट ने यातायात संबंधी एजेंसियों से भी प्रदर्शन के वक्त यातायात सुचारू चले इसके लिए गाइडलाइन और सिफारिशें मांगी हैं. मामले में चार हफ्ते के बाद फिर सुनवाई होगी.

दरअसल मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सेंट्रल दिल्ली में शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करने की इजाजत देने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि अक्टूबर में NGT ने जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी जबकि पूरी सेंट्रल दिल्ली में दिल्ली पुलिस की ओर से हमेशा के लिए धारा 144 लगाई गई है. ऐसे में लोगों के शांतिपूर्व प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है.

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उनका ये भी कहना है कि संविधान से मिले मौलिक अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता और दिल्ली पुलिस द्वारा लागू की गई धारा 144 मनमानी और गैरकानूनी है. याचिका में संगठन ने सुझाया है कि इंडिया गेट के पास बोट क्लब पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक तौर पर इजाजत दी जा सकती है.


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