विज्ञापन
This Article is From Dec 19, 2014

लोकसभा में पेश हुआ जीएसटी विधेयक

लोकसभा में पेश हुआ जीएसटी विधेयक
नई दिल्ली:

देश में एकीकृत माल एवं सेवाओं का हस्तांतरण सुनिश्चित करने और विविध करों के बोझ को कम करने वाला वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित विधेयक आज लोकसभा में पेश किया गया।

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संविधान (122वां संशोधन) विधेयक 2014 विधेयक पेश करते कहा कि वस्तु एवं सेवाकर से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक के मसौदे में राज्यों की चिंताओं को ध्यान में रखा गया है।

उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह कई राज्यों के मंत्रियों एवं प्रतिनिधियों के साथ उनकी बैठक हुई थी, जिसमें जीएसटी से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक के मसौदे को दिखाया गया। उन्होंने कहा कि राज्यों की राय पर इस मसौदे में कुछ सुधार भी किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसी ही बैठक पिछले सोमवार को भी हुई थी। उन्होंने कहा कि जीएसटी केंद्र एवं राज्य दोनों ही के लिए लाभ की स्थिति होगा। जीएसटी लागू होने से राज्यों को कर की जो हानि होगी उसकी भरपाई के लिए संवैधानिक गारंटी का प्रावधान होगा। इससे व्यावहारिक स्तर पर कई फायदे होंगे।

जेटली ने कहा कि इसे 2006 में संप्रग सरकार ने पेश किया था हालांकि मूल रूप से वाजपेयी सरकार के समय की अवधारणा है। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि पश्चिम बंगाल ने इसका काफी समर्थन किया है।

वित्तमंत्री ने कहा कि इससे एकल माल एवं सेवाओं का हस्तांतरण सुनिश्चित होने के साथ कई करों के बोझ को कम किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय ब्रिकी कर (सीएसटी) के तहत राज्यों को बकाये के भुगतान की पहल की गई है ताकि जीएसटी को आगे बढ़ाया जा सके। हमने ऐसी व्यवस्था की है ताकि किसी राज्य को एक पैसे का नुकसान नहीं हो।

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी।

सरकार ने कहा कि इस विधेयक को पेश कर दिया गया है लेकिन चर्चा और पारण के लिए इसे संसद के अगले सत्र में लिया जाएगा। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि वस्तु एवं सेवा कर केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा अधिग्रहित किये जा रहे अनेक अप्रत्यक्ष करों का स्थान लेगा और इसका आशय माल एवं सेवाओं के लिए राष्ट्रीय बाजार का सृजन करना है।

इसके तहत माल एवं सेवा कर को संचालित करने वाली विधियां बनाने के लिए संसद और राज्य विधान मंडलों को समवर्ती शक्तियां प्रदान की गई है। पेट्रोलियम एवं पेट्रोलियम उत्पाद की बारे में यह उपबंध किया गया है कि ये माल और सेवा कर परिषद की सिफारिश पर अधिसूचित तारीख तक माल और सेवा की के प्रावधानों के अधीन नहीं होंगे।

पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने समेत अन्य जटिल मुद्दों को लेकर केंद्र तथा राज्यों के बीच पिछले सप्ताह बनी सहमति के बाद संशोधित संविधान संशोधन विधेयक को मंत्रिमंडल के समक्ष लाया गया। पेट्रोलियम उत्पादों पर कर को लेकर प्रस्तावित जीएसटी करीब सात साल से अटका हुआ था।

जीएसटी केंद्रीय स्तर पर उत्पाद शुल्क तथा सेवा कर तथा राज्यों में लगने वाले वैट (मूल्य वर्धित कर) एवं स्थानीय करों का स्थान लेगा। इससे पहले जीएसटी विधेयक को 2011 में लोकसभा में पेश किया गया था लेकिन लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही विधेयक निरस्त हो गया। इससे नई सरकार को नया विधेयक लाना पड़ा है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
जीएसटी, वस्तु एवं सेवा कर, केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली, कर कानून, GST, Goods And Service Tax, Arun Jaitley, Finance Bill
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com