कोलकाता:
रिटेल क्षेत्र में एफडीआई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर यूपीए सरकार को आड़े हाथों लेते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएंगी। संसद का सत्र गुरुवार से शुरू हो रहा है।
उधर, भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज को फोन कर उनकी पार्टी की ओर से संप्रग सरकार के खिलाफ लाए जा रह अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने को कहा है।
हालांकि जोशी ने इस प्रस्ताव के असफल रहने के बाद के घटनाक्रमों के बारे में कयास लगाने से परहेज किया।
पूछने पर कि क्या सपा और बसपा का समर्थन पाने वाली संप्रग सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रसताव लाने का तृणमूल कांग्रेस का निर्णय उचित है? जोशी ने जवाब में कहा, एफडीआई का विरोध करना उचित कदम है, लेकिन अगर तृणमूल अविश्वास प्रस्ताव लाती है तो उसे उसके प्रभावों के लिए भी तैयार रहना होगा। उन्होंने चेतावनी दी, तृणमूल के पास पर्याप्त संख्या नहीं है और वह अन्य दलों के समर्थन पर निर्भर है। इसके बावजूद अगर तृणमूल का नेतृत्व इस राह पर आगे बढ़ता है तो उसे संभावित प्रभावों के लिए तैयार रहना होगा।
अपनी टिप्पणी का मतलब समझाते हुए जोशी ने कहा कि अगर संख्या पूरी नहीं है और प्रस्ताव असफल हो जाता है तो सरकार अगले छह माह के लिए सुरक्षित हो जाएगी और इस दौरान फिर अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। उन्होंने कहा, दूसरी ओर अगर प्रस्ताव पारित हो जाता है और सरकार गिर जाती है तो भी आपको आगे के बारे में सोचना होगा। जोशी ने कहा कि एक बार सुषमा स्वराज बाल ठाकरे के अंतिम संस्कार के बाद मुंबई से दिल्ली वापस आ जाएं तो राजग नेतृत्व इस मामले पर बात करेगा ।
इस बीच ममता के लिए कुछ अच्छी खबर भी है। भाकपा के नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि उनकी पार्टी किसी भी दल द्वारा लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि तृणमूल को अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 50 सांसदों का समर्थन चाहिए होगा।
दासगुप्ता ने कहा, अगर संसद में अविश्वास प्रस्ताव आता है तो हम सरकार को बचाने की जिम्मेदारी नहीं लेंगे। हम वॉक आउट नहीं करेंगे, हम सरकार के खिलाफ वोट देंगे।
आशा के अनुरूप कांग्रेस ने तृणमूल के इस कदम की आलोचना की है। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के प्रवक्ता शकील अहमद ने रांची में संवाददाताओं से कहा कि यह निर्णय तृणमूल कांग्रेस के भाजपा के निकट आने का संकेत है। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव सरकार को मिलने वाले 305 सांसदों के समर्थन के सामने औंधे मुंह गिरेगा।
अहमद ने कहा, महज 19 सदस्यों वाली पार्टी तृणमूल कांग्रेस की ओर से अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय दिखाता है कि पार्टी ना सिर्फ भाजपा बल्कि माकपा के भी निकट जा रही है, लेकिन वह 305 सांसदों के सामने मात खाएगी। हमें 305 सांसदों का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने इस घोषणा के एक सकारात्मक पहलू को दिखाते हुए कहा, ममता की घोषणा का सकारात्मक भाग है कि वह फिर कभी यह नहीं कह पाएंगी कि कांग्रेस अप्रत्यक्ष तौर पर माकपा के साथ है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस समिति के अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने संवाददाताओं से कहा कि इस कदम ने ममता बनर्जी में ‘अनुभव और राजनीति के क्षेत्र में सिद्धांतों’ की कमी को सामने ला दिया है।
उन्होंने कहा, ममता बहुत अच्छी तरह जानती हैं कि वह इस प्रस्ताव को अकेले नहीं ला सकतीं। इसलिए वह सांप्रदायिक ताकतों, भाजपा और धुर विरोधी मार्क्सवादियों पर निर्भर हैं। यह सिर्फ अनुभव और राजनीति के क्षेत्र में सिद्धांतों की कमी है।
उधर, भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज को फोन कर उनकी पार्टी की ओर से संप्रग सरकार के खिलाफ लाए जा रह अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने को कहा है।
हालांकि जोशी ने इस प्रस्ताव के असफल रहने के बाद के घटनाक्रमों के बारे में कयास लगाने से परहेज किया।
पूछने पर कि क्या सपा और बसपा का समर्थन पाने वाली संप्रग सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रसताव लाने का तृणमूल कांग्रेस का निर्णय उचित है? जोशी ने जवाब में कहा, एफडीआई का विरोध करना उचित कदम है, लेकिन अगर तृणमूल अविश्वास प्रस्ताव लाती है तो उसे उसके प्रभावों के लिए भी तैयार रहना होगा। उन्होंने चेतावनी दी, तृणमूल के पास पर्याप्त संख्या नहीं है और वह अन्य दलों के समर्थन पर निर्भर है। इसके बावजूद अगर तृणमूल का नेतृत्व इस राह पर आगे बढ़ता है तो उसे संभावित प्रभावों के लिए तैयार रहना होगा।
अपनी टिप्पणी का मतलब समझाते हुए जोशी ने कहा कि अगर संख्या पूरी नहीं है और प्रस्ताव असफल हो जाता है तो सरकार अगले छह माह के लिए सुरक्षित हो जाएगी और इस दौरान फिर अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। उन्होंने कहा, दूसरी ओर अगर प्रस्ताव पारित हो जाता है और सरकार गिर जाती है तो भी आपको आगे के बारे में सोचना होगा। जोशी ने कहा कि एक बार सुषमा स्वराज बाल ठाकरे के अंतिम संस्कार के बाद मुंबई से दिल्ली वापस आ जाएं तो राजग नेतृत्व इस मामले पर बात करेगा ।
इस बीच ममता के लिए कुछ अच्छी खबर भी है। भाकपा के नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि उनकी पार्टी किसी भी दल द्वारा लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि तृणमूल को अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 50 सांसदों का समर्थन चाहिए होगा।
दासगुप्ता ने कहा, अगर संसद में अविश्वास प्रस्ताव आता है तो हम सरकार को बचाने की जिम्मेदारी नहीं लेंगे। हम वॉक आउट नहीं करेंगे, हम सरकार के खिलाफ वोट देंगे।
आशा के अनुरूप कांग्रेस ने तृणमूल के इस कदम की आलोचना की है। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के प्रवक्ता शकील अहमद ने रांची में संवाददाताओं से कहा कि यह निर्णय तृणमूल कांग्रेस के भाजपा के निकट आने का संकेत है। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव सरकार को मिलने वाले 305 सांसदों के समर्थन के सामने औंधे मुंह गिरेगा।
अहमद ने कहा, महज 19 सदस्यों वाली पार्टी तृणमूल कांग्रेस की ओर से अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय दिखाता है कि पार्टी ना सिर्फ भाजपा बल्कि माकपा के भी निकट जा रही है, लेकिन वह 305 सांसदों के सामने मात खाएगी। हमें 305 सांसदों का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने इस घोषणा के एक सकारात्मक पहलू को दिखाते हुए कहा, ममता की घोषणा का सकारात्मक भाग है कि वह फिर कभी यह नहीं कह पाएंगी कि कांग्रेस अप्रत्यक्ष तौर पर माकपा के साथ है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस समिति के अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने संवाददाताओं से कहा कि इस कदम ने ममता बनर्जी में ‘अनुभव और राजनीति के क्षेत्र में सिद्धांतों’ की कमी को सामने ला दिया है।
उन्होंने कहा, ममता बहुत अच्छी तरह जानती हैं कि वह इस प्रस्ताव को अकेले नहीं ला सकतीं। इसलिए वह सांप्रदायिक ताकतों, भाजपा और धुर विरोधी मार्क्सवादियों पर निर्भर हैं। यह सिर्फ अनुभव और राजनीति के क्षेत्र में सिद्धांतों की कमी है।
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