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This Article is From Dec 02, 2016

सरकार ने 'स्वराज अभियान' की जनहित याचिका की विचारणीयता पर सुप्रीम कोर्ट में उठाए सवाल

सरकार ने 'स्वराज अभियान' की जनहित याचिका की विचारणीयता पर सुप्रीम कोर्ट में उठाए सवाल
उच्चतम न्यायालय (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में स्वराज अभियान की जनहित याचिका की विचारणीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि "जनहित याचिका की आड़ में राजनीतिक हिसाब चुकता करने के लिए राजनीतिक नेतृत्व" वाला संगठन न्यायालय नहीं आ सकता है.

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ स्वराज अभियाजन की जनहित याचिका की विचारणीयता के मुद्दे पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई है. इस याचिका में छत्तीसगढ सरकार द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे वीवीआईपी अगस्ता हेलिकॉप्टर की खरीद में कथित अनियिमत्ताओं की जांच विशेष जांच दल से कराने का अनुरोध किया गया है.

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि स्वराज अभियान एक गैर पंजीकृत संगठन है और उसने निर्वाचन आयोग में 'स्वराज इंडिया' नाम से राजनीतिक दल के पंजीकरण हेतु आवेदन कर रखा है.

उन्होंने कहा, "जब कोई मसला राजनीतिक रंग ले लेता है या राजनीतिक नेतृत्व अपना राजनीतिक हिसाब चुकता करने के लिए जनहित याचिका की आड़ में न्यायालय आता है तो ऐसा मामला जनहित याचिका का स्वरूप खो देता है." रोहतगी ने कहा कि देश के सूखाग्रस्त इलाकों में किसानों को राहत के संबंध में इस संगठन द्वारा दायर जनहित याचिका में शीर्ष अदालत के फैसले के बाद स्वराज अभियान से जुड़े लोगों ने उच्चतम न्यायालय से कृषि भवन तक मार्च निकाला था.

अटॉर्नी जनरल ने कहा, "स्वराज अभियान के पीछे वही व्यक्ति हैं जिन्होंने निर्वाचन आयोग में एक राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन किया है. वे राजनीतिक हिसाब बराबर करने के लिए अनुच्छेद 32 के तहत न्यायालय आकर राजनीतिक लाभ नहीं उठा सकते हैं." उन्होंने कहा कि ये दोनों जनहित याचिकायें खारिज की जानी चाहिए क्योंकि ये विचारणीय नहीं है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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