
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
विभिन्न कारणों के चलते मांओं द्वारा अपने नवजात बच्चों को जल्दी ही स्तनपान से दूर किए जाने के इस दौर में सरकार ने नवजातों और छोटे बच्चों को स्तनपान करवाने की एक राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार करने का फैसला किया है। इस योजना में स्तनपान को बढ़ावा दिए जाने के लिए सलाह और सार्वजनिक स्थानों पर इसके लिए अलग जगह बनाने जैसे कदम शामिल हैं।
नवजात एवं शिशु स्तनपान पर बनी राष्ट्रीय परिचालन समिति की पांच साल बाद हुई हालिया बैठक में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने योजना का मसौदा तैयार करने के लिए विभिन्न संगठनों, विभागों और मंत्रालयों से सुझाव मंगवाए हैं।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, अब तक कुछ नहीं किया गया है। इस मुद्दे को अब उठाया जाना जरूरी है। हमने योजना का मसौदा तैयार करने के लिए टिप्पणियां और सुझाव मंगवाए हैं। इस योजना के इस साल के अंत तक लागू होने की संभावना है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्वेक्षण के अनुसार, शुरुआती छह माह तक विशेष स्तनपान कराने वाली मांओं की संख्या महज 21 प्रतिशत है जबकि 79 प्रतिशत मांओं ने छह माह की उम्र में बच्चों को पूरक दुग्धपान शुरू करवा दिया।
मंत्रालय ने नवजात एवं शिशु भोजन पर राष्ट्रीय परिचालन समिति और राष्ट्रीय समन्वय समिति का भी पुनर्गठन किया है ताकि स्वास्थ्य मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, पेयजल एवं स्वच्छता, आयुष, खाद्य प्रसंस्करण, मानव संसाधन विकास, श्रम एवं रोजगार और पंचायती राज जैसे विभिन्न अन्य विभागों और मंत्रालयों के सदस्यों को शामिल किया जा सके। बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय की मदद से एक संवाद रणनीति विकसित करने और मीडिया के जरिये एक जागरुकता अभियान शुरू करने का फैसला हुआ।
अधिकारी ने कहा, संवाद रणनीति के तहत, हम हर अस्पताल में गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को परामर्श देने के लिए नर्स या डॉक्टर के रूप में समर्पित कर्मचारी नियुक्त करने की कोशिश करेंगे। यह स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मीडिया के जरिये जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे।
मंत्रालय ने जागरूकता कार्यक्रम के लिए आंगनवाड़ी और आशा कर्मचारियों को भी शामिल करने का फैसला किया है। इन कर्मचारियों को गर्भवती महिलाओं को परामर्श देने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे गांवों में घर-घर जाकर अभियान चला सकें। ऐसा पंचायती राज मंत्रालय की मदद से किया जाएगा क्योंकि उसका नेटवर्क जमीनी स्तर पर है।
नवजात एवं शिशु स्तनपान पर बनी राष्ट्रीय परिचालन समिति की पांच साल बाद हुई हालिया बैठक में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने योजना का मसौदा तैयार करने के लिए विभिन्न संगठनों, विभागों और मंत्रालयों से सुझाव मंगवाए हैं।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, अब तक कुछ नहीं किया गया है। इस मुद्दे को अब उठाया जाना जरूरी है। हमने योजना का मसौदा तैयार करने के लिए टिप्पणियां और सुझाव मंगवाए हैं। इस योजना के इस साल के अंत तक लागू होने की संभावना है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्वेक्षण के अनुसार, शुरुआती छह माह तक विशेष स्तनपान कराने वाली मांओं की संख्या महज 21 प्रतिशत है जबकि 79 प्रतिशत मांओं ने छह माह की उम्र में बच्चों को पूरक दुग्धपान शुरू करवा दिया।
मंत्रालय ने नवजात एवं शिशु भोजन पर राष्ट्रीय परिचालन समिति और राष्ट्रीय समन्वय समिति का भी पुनर्गठन किया है ताकि स्वास्थ्य मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, पेयजल एवं स्वच्छता, आयुष, खाद्य प्रसंस्करण, मानव संसाधन विकास, श्रम एवं रोजगार और पंचायती राज जैसे विभिन्न अन्य विभागों और मंत्रालयों के सदस्यों को शामिल किया जा सके। बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय की मदद से एक संवाद रणनीति विकसित करने और मीडिया के जरिये एक जागरुकता अभियान शुरू करने का फैसला हुआ।
अधिकारी ने कहा, संवाद रणनीति के तहत, हम हर अस्पताल में गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को परामर्श देने के लिए नर्स या डॉक्टर के रूप में समर्पित कर्मचारी नियुक्त करने की कोशिश करेंगे। यह स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मीडिया के जरिये जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे।
मंत्रालय ने जागरूकता कार्यक्रम के लिए आंगनवाड़ी और आशा कर्मचारियों को भी शामिल करने का फैसला किया है। इन कर्मचारियों को गर्भवती महिलाओं को परामर्श देने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे गांवों में घर-घर जाकर अभियान चला सकें। ऐसा पंचायती राज मंत्रालय की मदद से किया जाएगा क्योंकि उसका नेटवर्क जमीनी स्तर पर है।
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