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This Article is From Mar 19, 2015

यौन उत्पीड़न-रोधी दिशानिर्देशों का पालन हो, वरना दें जुर्माना

यौन उत्पीड़न-रोधी दिशानिर्देशों का पालन हो, वरना दें जुर्माना
केंद्रीय मंत्री मैनका गांधी की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:

महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने गुरुवार को कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न-रोधी दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने पर नियोक्ता कंपनियां 50,000 रुपये जुर्माना देने के लिए जवाबदेह होगी। यह बात उन्होंने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहीं।

सूप्रीम न्यायालय ने कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं। इन दिशानिर्देशों के तहत सभी कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न की शिकायतों से निपटने के लिए एक शिकायत समिति का गठन करना जरूरी है।

कानून के तहत दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर नियोक्ता 50,000 रुपये की जुर्माना राशि का भुगतान करने के लिए जवाबदेह होगा। महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने संसद में एक लिखित जवाब में कहा कि दिशानिर्देशों का बार-बार उल्लंघन करने की दिशा में जुर्माने की राशि दोगुनी हो जाएगी।

कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथान, निषेध और निवारण) अधिनियम दिसंबर 2013 से प्रभावी है। मेनका गांधी ने कहा कि उनके मंत्रालय ने इस संबंध में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए परामर्श जारी किया है।

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