सरकार के सूत्रों ने बताया कि क्यों पराठे को 18 फीसदी GST के दायरे में लाय़ा गया

18 फीसदी जीएसटी फ्रोजन पराठों पर लागू होगी जिन्हें प्रीजर्व करके रखा गया है. यह उन पराठों पर लागू होगा जिन्हें पैक और सील करके रखा गया है. न कि ताजे बनाए गए पराठे पर लागू किया जाएगा.

सरकार के सूत्रों ने बताया कि क्यों पराठे को 18 फीसदी GST के दायरे में लाय़ा गया

पराठे और रोटी को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर संग्राम छिड़ा हुआ है

नई दिल्ली:

पराठे पर लगने वाले GST को लेकर सोशल मीडिया पर शुरू हुई बहस के एक दिन बाद सरकार के सूत्रों ने साफ किया रेस्टोरेंट द्वारा परोसा गया साधारण पराठे पर रोटी की तरह 5 प्रतिशत जीएसटी ही लागू होगी. 18 फीसदी जीएसटी फ्रोजन पराठों पर लागू होगी जिन्हें प्रीजर्व करके रखा गया है. यह उन पराठों पर लागू होगा जिन्हें पैक और सील करके रखा गया है. न कि ताजे बनाए गए पराठे पर लागू किया जाएगा. सरकार के सूत्रों ने शनिवार को बताया जो वर्ग फ्रोजन पराठे खाता है वह इसके टैक्स भुगतान कर सकता है. 

उन्होंने कहा कि यहां ध्यान दिया जाना चाहिए कि फ्रोजन पराठे को प्रिजर्व किया जाता है. बड़े ब्रांड इन्हें ऊंचे दामों पर बेचते हैं, क्योंकि यह मुख्य वस्तु नहीं है. इसका इस्तेमाल समाज का जो वर्ग करता है वह इसके टैक्स का भुगतान भी कर सकता है. सरकार के सूत्रों के अनुसार प्लेन रोटी और पराठे की तुलना फ्रोजन पराठे से नहीं किया जाना चाहिए. और न ही इसे गरीब वर्ग इसका रोजाना सेवन करता है. 

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बता दें कि बेंगलुरु की कंपनी आईडी फ्रेश फूड्स ने AR की कर्नाटक बेंच के सामने आवेदन कर पूछा था कि क्या पूर्ण गेहूं का परांठा और मालाबार परांठा अध्याय 1905 वर्गीकरण के तहत आता है और इसपर 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा. आवेदन करने वाली आईडी फ्रेश फूड्स खाद्य उत्पाद कंपनी है. यह रेडी-टु-कुक उत्पाद मसलन इडली, डोसा, पराठा और चपाती बेचती है.  एएआर ने अपने निष्कर्ष में कहा है कि सीमा शुल्क के शुल्क कानून या जीएसटी शुल्क में परांठे को लेकर कोई विशिष्ट प्रविष्टि नहीं है. एएआर ने कहा कि 5 प्रतिशत की जीएसटी दर उन उत्पादों पर लागू होगी जो 1905 या 2016 के शीर्षक के तहत आते हैं, ऐसे उत्पाद खाखरा, सादी चपाती और रोटी हैं. पराठा 2016 शीर्षक के तहत आता है, यह न तो खाखरा है, न ही सादी चपाती या रोटी. इसके बाद सोशल मीडिया पर रोटी और पराठे को लेकर बहस शुरू हो गई थी.