वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा है कि भारत वैश्विक घटनाक्रमों (Global Developments) की वजह से उत्पन्न किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम है. इन घटनाक्रमों में अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा नरम मौद्रिक रुख को वापस लेना भी शामिल है.सीतारमण ने रविवार को उद्योग मंडल फिक्की (FICCI) के साथ बजट-बाद परिचर्चा में कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को वैश्विक घटनाक्रमों से किसी तरह प्रभावित नहीं होने देगी.उन्होंने कॉरपोरेट जगत का आह्वान किया कि वे अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार का लाभ उठाएं और निवेश बढ़ाएं.
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वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘अब टीम इंडिया के रूप में हमारे पास उबरने का मौका है.हम ऐसे मोड़ पर है जबकि अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार पूरी तरह स्पष्ट है.इस पुनरुद्धार की वजह से भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनेगा. यह रुख अगले वित्त वर्ष में भी जारी रहेगा.'' उन्होंने कहा कि महामारी के बाद दुनिया में बदलाव आया है और उद्योग के नेतृत्व को यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत इस बार ‘बस' में सवार होने से नहीं चूके.''
उन्होंने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट के समय भारत ने ऐसा अवसर गंवा दिया था.सीतारमण ने कहा, ‘‘रिजर्व बैंक और सरकार मिलकर काम कर रहे हैं और वे वैश्विक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र को देख रहे हैं कि क्या चल रहा है. हमने भारत सरकार के समक्ष 2012-13 और 2013-14 में आए पिछले संकट से सबक सीखा है.''
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उन्होंने कहा, ‘‘हमारी वैश्विक रणनीतिक घटनाक्रमों पर नजर है.फेडरल रिजर्व के निर्णय और साथ ही वैश्विक मुद्रास्फीतिक दबाव को हम देख रहे हैं.इन चीजों पर हमारी नजदीकी निगाह है.मैं यहां मौजूद नेतृत्व को आश्वस्त करना चाहती हूं कि तैयारियों की वजह से अर्थव्यवस्था को हम कोई नुकसान नहीं होने देंगे.'' उन्होंने भरोसा जताया कि भारत आगे बढ़ेगा और सतत वृद्धि दर्ज करेगा.‘‘2047 से पहले हम दुनिया के कुछ बेहद विकसित देशों में होंगे.''
पूंजीगत व्यय के लक्ष्य को पूरा करने के बारे में सीतारमण ने कहा कि सरकार को मार्च 2022 तक 5.51 लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है.उन्होंने यह भी कहा कि अगले वित्त वर्ष के लिए लक्ष्य बेहद यथार्थवादी है और इसे हासिल किया जाएगा. वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पूंजीगत व्यय को 35.4 प्रतिशत बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव रखा है. वित्त मंत्री ने विनिवेश के संबंध में कहा कि न केवल सरकार, बल्कि उद्योग भी अपने व्यवसायों को बेचने के बारे में बहुत जल्दबाजी में फैसले नहीं करते हैं, और यह बात सरकार के बारे में अधिक सही है.उन्होंने आगे कहा कि हालांकि विनिवेश की तरफ कदम बढ़ रहे हैं.
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