यह ख़बर 22 फ़रवरी, 2012 को प्रकाशित हुई थी

निर्वाचन आयोग के अधिकारों में कटौती नहीं करेगी सरकार

खास बातें

  • केंद्र सरकार ने मंगलवार को स्पष्ट कर दिया कि निर्वाचन आयोग की शक्तियों में कटौती करने की उसकी कोई योजना नहीं है।
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने मंगलवार को स्पष्ट कर दिया कि निर्वाचन आयोग की शक्तियों में कटौती करने की उसकी कोई योजना नहीं है। सरकार ने इस सम्बंध में मीडिया में आई खबरों को शरारत करार दिया।

इस मुद्दे पर दिन भर चली राजनीतिक गहमागहमी के बाद केंद्र सरकार ने शाम में एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि इस प्रकार की जो खबरें मीडिया में प्रकाशित हुई हैं वह शरारती है और सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है।

बयान में कहा गया, "मंत्रियों के समूह ने आदर्श चुनाव आचार संहिता को वैधानिक करने या इसे निर्वाचन आयोग के दायरे से बाहर करने जैसी कोई सिफारिश नहीं की है।"

बयान में यह स्पष्ट किया गया कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों के समूह ने चुनावों का खर्च सरकार द्वारा उठाए जाने पर चर्चा जरूर की है।

केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार पर मंत्रियों का समूह (जीओएम) आचार संहिता को निर्वाचन आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर निकालने और नियमों को संवैधानिक दर्जा देने के प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रहा।

संवाददाताओं से बातचीत में खुर्शीद ने कहा, "मेरी जानकारी के मुताबिक, ऐसा कोई एजेंडा नहीं है। जहां तक मैं समझता हूं, इस पर सहमति है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद चुनाव सुधार के मुद्दे पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक होगी, जिसकी कोशिश निर्वाचन आयोग द्वारा की जा रही है।"

खुर्शीद ने कहा, "मैं चुनाव सुधार पर होने वाली बैठक के एजेंडे के बारे नहीं बता सकता, क्योंकि इस बारे में हमें जानकारी बैठक के दौरान ही मिलेगी। यदि किसी राजनीतिक पार्टी या नेता द्वारा यह मुद्दा उठाया जाता है तो हम इसे बैठक के दौरान उठाएंगे।"

कांग्रेस नेता ने इस पर हैरानी भी जताई कि आखिर भ्रष्टाचार पर मंत्रियों के समूह का आचार संहिता से क्या लेना हो सकता है? उन्होंने कहा, "आचार संहिता चुनाव प्रक्रिया का विस्तृत क्षेत्र है। सम्भव है कि प्रशासन या भ्रष्टाचार से इसका कुछ सम्बंध हो, लेकिन यह भ्रष्टाचार से मुख्य रूप से सम्बद्ध नहीं है। फिर भ्रष्टाचार पर मंत्रियों के समूह का इससे क्या लेना हो सकता है?"

केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी इसी तरह का विचार व्यक्त करते हुए कहा, "यह पहली बार सामने आया है और मंत्री समूह के एजेंडे में कुछ नहीं है। मैं जीओएम में हूं। मेरे सामने यह मुद्दा नहीं आया है, न ही कोई बैठक हुई है और न ही ऐसा कोई प्रस्ताव है।"

कम्पनी मामलों के केंद्रीय मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने हालांकि कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार का निर्णय सुविचारित होगा, जैसा कि इसने हमेशा निर्वाचन आयोग की स्वायत्तता का समर्थन किया है।

मीडिया में सम्बंधित खबरों के आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पर आदर्श चुनाव आचार संहिता का बार-बार उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग को कमजोर बनाने वाले किसी भी कदम का वह विरोध करेगी।

भाजपा नेता अरुण जेटली ने पत्रकारों से कहा, "आयोग को कमजोर बनाने वाले किसी भी कदम का हम विरोध करेंगे..कांग्रेस आदर्श चुनाव आचार संहिता का बार-बार उल्लंघन करने वाली पार्टी है और वह आयोग द्वारा नियंत्रित होना पसंद नहीं करती।"

जेटली ने कहा, "आदर्श चुनाव आचार संहिता निर्वाचन आयोग के कार्यकारी शक्तियों के अधीन आता है और इस शक्ति का उद्देश्य उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को अनुशासन के दायरे में रखना है।"

भाजपा नेता ने कहा कि कांग्रेस सार्वजनिक संस्थाओं पर हमला करने की आदी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि आयोग को कमजोर बनाने वाला कोई भी कानून सरकार पारित नहीं करा पाएगी।

जेटली ने कहा, "आयोग को कमजोर बनाने वाले किसी भी कदम का हम विरोध करेंगे। चुनावों को निर्वाचन आयोग सम्पन्न कराता है, न्यायालय नहीं।"

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उल्लेखनीय है कि मीडिया में ऐसी खबरें आई थीं कि भ्रष्टाचार पर मंत्रियों का समूह एक प्रस्ताव पर विचार कर रहा है जिसमें आदर्श चुनाव आचार संहिता को निर्वाचन आयोग के दायरे से बाहर रखने और उसे संवैधानिक दर्जा देने की बात कही गई है।