आरटीआई को कमजोर करने की कोशिश कर रही है सरकार : पूर्व सूचना आयुक्त

मुंबई:

पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेष गांधी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र सरकार प्रतिगामी कदम उठाकर सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून को कथित तौर पर 'कमजोर करने' की कोशिश कर रही है।
 
मीडिया के एक धड़े को लिखे अपने खुले पत्र में गांधी ने कहा, 'मौजूदा प्रधानमंत्री द्वारा अब तक मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति न करना इसे कमजोर करने का प्रयास है।'

गांधी साल 2008 में केंद्रीय सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्त किए गए थे और उन्होंने वर्ष 2012 तक इस पद पर कार्य किया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए थे। वह मुंबई के जानेमाने आरटीआई कार्यकर्ता थे।
 
पूर्व आयुक्त ने अपने पत्र में नौकरशाही पर भी हमला बोलते हुए कहा कि यह अड़ियल रवैया अपना रही है और कई मामलों में यह महसूस किया गया है कि आयुक्त पारदर्शिता को लेकर दृढ़प्रतिज्ञ नहीं हैं।
 
गांधी के इस पत्र का शीषर्क 'सूचना का अधिकार कानून-मौजूदा स्थिति' (द आरटीआई एक्ट-प्रेजेंट स्टेटस) है। इसमें उन्होंने सूचना के अधिकार को दो सबसे बड़े खतरे बताए हैं। पहला खतरा खुद सरकार से है जिसे लगता है कि पारदर्शिता सुशासन में बाधा है और दूसरा मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप।
 
शैलेष गांधी ने पत्र में कहा, 'आयुक्तों के आदेश अक्सर पारदर्शिता के खिलाफ पक्षपातपूर्ण होते हैं और उनके द्वारा मामलों का समय पर निपटारा नहीं करने के कारण मामलों का अंबार लग जाता है।'
 
आयुक्तों की इच्छाशक्ति पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, 'एक ऐसा कानून जो नागरिकों को 30 दिन के भीतर सूचना देना सुनिश्चित करता है वह आयोगों में आकर एक साल से भी लंबे समय तक के लिए लटक जाता है। इनमें से ज्यादातर आयुक्त समय पर परिणामों के लिए काम नहीं करते और इसी आधार पर वह उन समय से काम न करने वाले जन सूचना अधिकारियों को दंड देने का संपूर्ण नैतिक आधार खो देते हैं।'

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