'रिपोर्ट गलत' : एअर इंडिया के टाटा संस के हाथ में जाने की खबरों का सरकार ने किया खंडन

निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने कहा, "मीडिया में आ रही खबरों में इस तरह के संकेत दिए गए हैं कि सरकार ने एअर इंडिया के विनिवेश मामले में वित्तीय बोलियों को मंजूरी दे दी है, जो कि गलत है."

'रिपोर्ट गलत' : एअर इंडिया के टाटा संस के हाथ में जाने की खबरों का सरकार ने किया खंडन

सरकार ने मीडिया में चल रही खबरों का किया खंडन

नई दिल्ली:

सरकारी विमानन कंपनी एअर इंडिया (Air India) के अधिग्रहण के लिए टाटा समूह की बोली को मंजूरी मिलने की खबरों को सरकार ने खारिज किया है. दरअसल, मीडिया में इस तरह की खबरें आ रही थीं कि एअर इंडिया के अधिग्रहण के लिए टाटा समूह की वित्तीय बोली को स्वीकार कर लिया गया है. केंद्र ने शुक्रवार को कहा कि रिपोर्ट्स में कहा जा रहा कि सरकार ने एअर इंडिया की फाइनेंशियल बिड को मंजूरी दे दी है, जो कि गलत है.
 
निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने ट्वीट में कहा, "मीडिया में आ रही खबरों में इस तरह के संकेत दिए गए हैं कि सरकार ने एअर इंडिया के विनिवेश मामले में वित्तीय बोलियों को मंजूरी दे दी है, जो कि गलत है." विभाग की ओर से कहा गया है कि जब भी इस संबंध में सरकार द्वारा फैसला लिया जाएगा तो मीडिया को सूचित किया जाएगा.

एयर इंडिया के अधिग्रहण के लिये टाटा समूह और स्पाइसजेट ने वित्तीय बोलियां जमा की है. सरकार ने हाल ही में कहा था कि टाटा और स्पाइसजेट की वित्तीय बोलियों का मूल्यांकन शुरू किया गया है. इसके साथ सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी के निजीकरण की प्रक्रिया अगले चरण में बढ़ गयी. सरकार सौदे को जल्दी पूरा करने को इच्छुक है. 

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा के मुताबिक, अघोषित आरक्षित मूल्य के आधार पर वित्तीय बोलियों का मूल्यांकन किया जा रहा है. जिस बोली में मानक मूल्य से अधिक कीमत पेश की गयी होगी, उसे स्वीकार किया जाएगा. टाटा की बोली अगर सफल होती है तो एयर इंडिया 67 साल बाद नमक से लेकर सॉफ्टवेयर बनाने वाले समूह के पास वापस चली जाएगी. 

गौरतलब है कि टाटा समूह ने अक्टूबर, 1932 में टाटा एयरलाइंस के नाम से एअर इंडिया का गठन किया था. सरकार ने 1953 में एयरलाइन का राष्ट्रीयकरण कर दिया. टाटा पहले से सिंगापुर एयरलाइंस के साथ मिलकर विमानन सेवा विस्तार का परिचालन कर रही है. 

सरकार एयरलाइन में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है. इसमें एयर इंडिया की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली एआई एक्सप्रेस लि. और 50 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लि. शामिल हैं.

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(भाषा के इनपुट के साथ)