यह ख़बर 01 नवंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

केंद्र सरकार ने आरटीआई संशोधन वापस लिए

खास बातें

  • संप्रग की प्रमुख सोनिया गांधी के दबाव के आगे झुकते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने गुरुवार को आरटीआई अधिनियम को कमजोर करने से सम्बंधित विवादित संशोधनों को वापस ले लिया।
नई दिल्ली:

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की प्रमुख सोनिया गांधी के दबाव के आगे झुकते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने गुरुवार को सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम को कमजोर करने से सम्बंधित विवादित संशोधनों को वापस ले लिया।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को बैठक के बाद एक सूत्र ने कहा, "मंत्रिमंडल ने आरटीआई अधिनियम में संशोधनों को वापस लेने का निर्णय लिया है।"

सोनिया के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की सदस्य अरुणा रॉय ने इन संशोधनों के खिलाफ एक तरह से अभियान चलाया था। इन संशोधनों का वापस लेने का अर्थ है कि कोई भी नागरिक राष्ट्रीय सुरक्षा, निजता एवं वाणिज्यिक हितों की सुरक्षा से जुड़ी फाइल नोटिंग्स को छोड़कर सूचनाएं मांग सकता है। संशोधन में केवल सामाजिक एवं विकास से जुड़े फाइल नोटिंग्स से जुड़ी सूचनाएं देने का निर्देश था।

आरटीआई अधिनियम पर अरुणा रॉय के साथ काम करने वाले निखिल डे ने कहा, "यह महत्वपूर्ण फैसला है। इस संशोधन से आरटीआई की हत्या हो जाती है और प्रशासन में कोई भी पारदर्शिता नहीं बचती।"

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अरुणा रॉय ने यहां तक कि इन संशोधनों पर सोनिया से मुलाकात की थी। सूत्रों के अनुसार मुख्य सूचना आयुक्त सत्यानंद मिश्रा भी इन संशोधनों के पक्ष में थे।