यह ख़बर 18 जुलाई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

गोरखालैंड की मांग खत्म नहीं : जीजेएम

खास बातें

  • जीजेएमके एक सदस्य ने त्रिपक्षीय समझौते को एक अस्थायी समाधान बताया और कहा कि गोरखालैण्ड की मांग खत्म नहीं हुई है।
सुकना:

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के एक सदस्य ने सोमवार को त्रिपक्षीय समझौते को एक अस्थायी समाधान बताया और कहा कि गोरखालैण्ड की मांग खत्म नहीं हुई है। जीजेएम के बौद्धिक मंच के सदस्य और पश्चिम बंगाल के पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, टी अर्जुन ने कहा, "जहां तक गोरखालैण्ड की मांग का प्रश्न है, यह अभी खत्म नहीं हुई है। गोरखा टेरीटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन, दार्जीलिंग हिल्स के आर्थिक विकास के लिए एक अस्थायी समाधान है। यह स्थायी समाधान नहीं है।" ज्ञात हो कि पश्चिम बंगाल सरकार, केंद्र सरकार और जीजेएम सोमवार को कुर्सियांग प्रखण्ड के सुकना में एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। समझौते में मुख्य बात, एक नए स्वायत्तशासी, निर्वाचित पहाड़ी परिषद, गोरखालैण्ड टेरीटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) का गठन करना है। इस नए परिषद के पास 1980 के दशक के अंतिम दिनों में गठित दार्जीलिंग गोरखा हिल काउंसिल से अधिक अधिकार होंगे। यह पूछे जाने पर कि यदि जीटीए ने सही तरीके से काम किया तो क्या जीजेएम अलग राज्य की अपनी मांग छोड़ देगा, इस पर अर्जुन ने कहा, "यदि पश्चिम बंगाल सरकार हमारी मदद करती है और यदि मित्रवत भावना बनी रहती है, तो फिलहाल हम कोई आंदोलन नहीं करेंगे, लेकिन अलग राज्य की मांग हमेशा बनी रहेगी।" अर्जुन ने कहा कि जीजेएम प्रमुख बिमल गुरंग जीटीए में कोई पद नहीं ग्रहण करेंगे, बल्कि मार्गदर्शन मुहैया कराएंगे।


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