गोवा में विधानसभा चुनाव के प्रचार जोर पकड़ने के बीच भी पाला बदलने का खेल जारी है. ऐसा ही वाकया रविवार को पेश आय़ा जब एक महीने पहले कांग्रेस को छोड़कर तृणमूल कांग्रेस का दामन थामने वाले पूर्व विधायक एलेक्सो रेजिनाल्डो लौरेंको (Aleixo Reginaldo Lourenco) पार्टी में लौट आए. उन्होंने एक महीने के भीतर ही ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस का साथ छोड़ दिया. माना जा रहा है कि कांग्रेस में वापसी के लिए उन्हें बड़ा ऑफर मिला है. गोवा में 14 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने वाला है. लौरेंको कर्टोरिम से विधायक थे और कांग्रेस की गोवा इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष थे, जब उन्होंने दिसंबर में पार्टी और विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.
To strengthen the @INCGoa and to boost our purpose of forming Congress government in 2022 in Goa, I request Aleixo Reginaldo Lourenco to join us back.
— Michael Lobo (@MichaelLobo76) January 16, 2022
लौरेंको ने ममता बनर्जी को टीएमसी छोड़ने के अपने फैसले की जानकारी देने के लिए एक पत्र भेजा है. इसमें उन्होंने पार्टी छोड़ने का कोई कारण नहीं बताया है. इस बीच बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए माइकल लोबो (Micheal Lobo) ने लौरेंको को कांग्रेस में लौटने का न्योता दिया है. लौरेंको ने जब पिछले महीने कांग्रेस छोड़ी थी, तब वो कर्टोरिम सीट से विधायक के साथ ही गोवा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष थे. इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना गया था. तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) ने लौरेंको के त्यागपत्र देने की पुष्टि की है.
टीएमसी ने कहा है कि पार्टी को लौरेंको का पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफे का पत्र मिला है. गोवा में टीएमसी प्रभारी महुआ मोइत्रा ने कहा कि हमने उनका पार्टी में अन्य लोगों की तरह स्वागत किया था. अब वो पार्टी छोड़ना चाहते हैं तो हम उनको शुभकामनाएं देते हैं.खबरों में कहा गया है कि लौरेंको दोबारा कांग्रेस में शामिल होने के साथ कर्टोरिम सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. उनके कांग्रेस छोड़ने के पहले भी इस सीट से उनकी दावेदारी घोषित की गई थी.
कांग्रेस ने लौरेंको के पार्टी छोड़ने के बाद अभी तक उस सीट से प्रत्याशी घोषित नहीं किया था. हालांकि पार्टी ने तब कहा था कि जिन लोगों ने जनता के साथ विश्वासघात किया है, उन्हें चुनाव में इसके नतीजे भुगतने होंगे. जनता उन्हें मुंहतोड़ जवाब देगी.
गौरतलब है कि गोवा में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा नया विकल्प तलाशने की जद्दोजहद में टीएमसी ने तमाम नेताओं को पार्टी में शामिल कराया था. इसका सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ था. इसके बाद कांग्रेस और टीएमसी में जुबानी जंग भी छिड़ गई थी.
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