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रेलवे ने विशाखापत्तनम-किरांदुल ट्रेन में विस्टाडोम कोच पेश किया
इस कोच से बाहर का नजारा देखा जा सकता है
इसमें लगी सीटें 360 डिग्री तक घुम सकती हैं
उन्होंने विस्टाडोम कोच के साथ विशाखापट्टनम और अराकू के बीच एक ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और कहा कि नए कोच में शीशे की छत, एलईडी लाइट, घुमावदार सीटें, जीपीएस आधारित सूचना प्रणाली होगी जो यात्रा को और सुगम बनाएंगे. प्रभु ने बूट मॉडल के तहत विशाखापट्टनम में एक यांत्रिक लॉन्ड्री की भी आधारशिला रखी. विशाखापत्तनम में शानदार अराकू घाटी की सुखद यात्रा का अनुभव देने के लिए रेलवे ने विशाखापत्तनम-किरांदुल ट्रेन में विस्टाडोम कोच पेश किया है, जिसमें से बाहर का नज़ारा देखा जा सकता है.
विस्टाडोम का यह कोच वातानुकूलित है और इसे खासतौर पर डिजाइन किया गया है. इसके बारे में यह दावा किया जा रहा है कि यह भारतीय रेलवे में अपनी तरह का पहला है. इसमें शीशे की बड़ी-बड़ी खिड़कियां हैं और एक लांज है जिसमें से मुसाफिर विशाखापत्तनम से अराकू घाटी पर्वत स्टेशन के बीच के 128 किलोमीटर लंबे रास्ते का शानदार नजारा देख सकते हैं. 3.38 करोड़ रुपये की लागत से बना 40 सीट वाले इस कोच की अनूठी खासियत यह है कि इसमें लगी सीटें 360 डिग्री तक घुम सकती हैं, जिससे यात्रियों को बेहतर नजारे का अनुभव हो.

रेलवे ने बताया है कि प्रायोगिक आधार पर ट्रेन में इस तरह का एक कोच लगाया गया है, जबकि अन्य कोच जल्द लगाएं जाएंगे. इसके मौके पर प्रभु ने कहा कि विस्टाडोम कोचों को देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पहली बार शामिल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में भी एक ही मार्ग पर इसी तरह का कोच बाद में लगाया जाएगा.
(इनपुट भाषा से)
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