नई दिल्ली:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को राज्य को विशेष दर्जे की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी के रामलीला मैदान में रैली कर जहां केंद्र सरकार पर दवाब डालने का प्रयास किया, वहीं अपनी पार्टी के दम पर एक लाख लोगों की भीड़ जुटाकर राज्य सरकार में साझीदार को भी चुपके से 'ताकत' का अहसास करा दिया।
नीतीश की रैली और उनके आरोपों के जवाब में कांग्रेस ने कहा कि अकेले बिहार ही पिछड़ा नहीं है। केंद्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने कहा कि पिछड़े क्षेत्रों की मदद के लिए केंद्र सरकार लीक से हटकर काम करने में विश्वास रखती है। पार्टी प्रवक्ता राशिद अल्वी ने केंद्र द्वारा बिहार की उपेक्षा किए जाने के नीतीश के आरोप पर प्रतिक्रिया दी।
जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के नेता नीतीश कुमार ने 'अधिकार रैली' के सहारे केंद्र की राजनीति में भूमिका निभाने की अभिलाषा का खुलकर प्रदर्शन किया।
रैली में जुटे करीब एक लाख लोगों को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से बिहार को विशेष दर्जा देने के लिए मापदंड में बदलाव करने का आग्रह करते हुए कहा, "हमें कहा गया है कि हम विशेष दर्जा की सभी योग्यताओं को पूरा नहीं करते।"
केंद्र सरकार को इशारे में चुनौती देते हुए उन्होंने कहा, "बिहार की उपेक्षा हुई है। हम अनुदान की भिक्षा नहीं मांग रहे, यह हमारा अधिकार है। अगर आप आज यह नहीं देंगे तो आपको 2014 में इसकी कीमत चुकानी होगी।"
अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव को देखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी भूमिका और प्रधानमंत्री बनने की अपनी अभिलाषा को छुपाने का प्रयास न करते हुए नीतीश ने कहा, "जो गरीबों व पिछड़ों के दर्द को समझे, उसी को देश पर शासन करना चाहिए।"
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी मांग से केवल बिहार को ही फायदा नहीं होगा, बल्कि इसका लाभ अन्य पिछड़े क्षेत्रों को भी मिलेगा। उन्होंने कहा, "यदि हम पिछड़े क्षेत्रों का विकास करना शुरू करेंगे तो राष्ट्रीय विकास दर बढ़ेगी। हम सभी का विकास चाहते हैं।" उन्होंने केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के 2013-14 के बजट भाषण के उस उल्लेख का भी जिक्र किया जिसमें चिदंबरम ने पिछड़े क्षेत्रों को विशेष दर्जा दिए जाने के मापदंड को पुनरीक्षित करने की जरूरत बताई थी।
विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर हालांकि यह दूसरी रैली थी, लेकिन यह पहला मौका था जब बिहार में सत्तारूढ़ जदयू ने अपने दम पर दिल्ली में ताकत का प्रदर्शन किया है। यह रैली इस लिहाज से भी अहम मानी जा रही है कि राज्य की गठबंधन सरकार में उसकी साझीदार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसमें शामिल नहीं थी।
नीतीश ने कहा, "यदि आप प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से देखें तो बिहार में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय की एक-तिहाई से थोड़ी ही अधिक है। विकास पर होने वाला प्रति व्यक्ति खर्च राष्ट्रीय औसत से करीब आधा है.. सभी मानव विकास सूचकांक बेहद निम्न हैं।"
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, "क्या हमें विकास करने का हक नहीं है? बिहार को रोजगार सृजित करने का हक नहीं है? हमें विकास का हक है, लेकिन हमारी हमेशा उपेक्षा हुई है।"
नीतीश की रैली और उनके आरोपों के जवाब में कांग्रेस ने कहा कि अकेले बिहार ही पिछड़ा नहीं है। केंद्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने कहा कि पिछड़े क्षेत्रों की मदद के लिए केंद्र सरकार लीक से हटकर काम करने में विश्वास रखती है। पार्टी प्रवक्ता राशिद अल्वी ने केंद्र द्वारा बिहार की उपेक्षा किए जाने के नीतीश के आरोप पर प्रतिक्रिया दी।
जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के नेता नीतीश कुमार ने 'अधिकार रैली' के सहारे केंद्र की राजनीति में भूमिका निभाने की अभिलाषा का खुलकर प्रदर्शन किया।
रैली में जुटे करीब एक लाख लोगों को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से बिहार को विशेष दर्जा देने के लिए मापदंड में बदलाव करने का आग्रह करते हुए कहा, "हमें कहा गया है कि हम विशेष दर्जा की सभी योग्यताओं को पूरा नहीं करते।"
केंद्र सरकार को इशारे में चुनौती देते हुए उन्होंने कहा, "बिहार की उपेक्षा हुई है। हम अनुदान की भिक्षा नहीं मांग रहे, यह हमारा अधिकार है। अगर आप आज यह नहीं देंगे तो आपको 2014 में इसकी कीमत चुकानी होगी।"
अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव को देखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी भूमिका और प्रधानमंत्री बनने की अपनी अभिलाषा को छुपाने का प्रयास न करते हुए नीतीश ने कहा, "जो गरीबों व पिछड़ों के दर्द को समझे, उसी को देश पर शासन करना चाहिए।"
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी मांग से केवल बिहार को ही फायदा नहीं होगा, बल्कि इसका लाभ अन्य पिछड़े क्षेत्रों को भी मिलेगा। उन्होंने कहा, "यदि हम पिछड़े क्षेत्रों का विकास करना शुरू करेंगे तो राष्ट्रीय विकास दर बढ़ेगी। हम सभी का विकास चाहते हैं।" उन्होंने केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के 2013-14 के बजट भाषण के उस उल्लेख का भी जिक्र किया जिसमें चिदंबरम ने पिछड़े क्षेत्रों को विशेष दर्जा दिए जाने के मापदंड को पुनरीक्षित करने की जरूरत बताई थी।
विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर हालांकि यह दूसरी रैली थी, लेकिन यह पहला मौका था जब बिहार में सत्तारूढ़ जदयू ने अपने दम पर दिल्ली में ताकत का प्रदर्शन किया है। यह रैली इस लिहाज से भी अहम मानी जा रही है कि राज्य की गठबंधन सरकार में उसकी साझीदार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसमें शामिल नहीं थी।
नीतीश ने कहा, "यदि आप प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से देखें तो बिहार में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय की एक-तिहाई से थोड़ी ही अधिक है। विकास पर होने वाला प्रति व्यक्ति खर्च राष्ट्रीय औसत से करीब आधा है.. सभी मानव विकास सूचकांक बेहद निम्न हैं।"
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, "क्या हमें विकास करने का हक नहीं है? बिहार को रोजगार सृजित करने का हक नहीं है? हमें विकास का हक है, लेकिन हमारी हमेशा उपेक्षा हुई है।"
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