विज्ञापन
This Article is From May 31, 2019

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भले ही बुरी तरह हारी हो, लेकिन इस राज्य में पार्टी को मिल गई है 'संजीवनी'

लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के अंदर उथल-पुथल जारी है. हालांकि इन चुनावों में दक्षिण भारत से कांग्रेस के लिए राहत भरी खबर आई.

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भले ही बुरी तरह हारी हो, लेकिन इस राज्य में पार्टी को मिल गई है 'संजीवनी'
इन चुनावों में दक्षिण भारत से कांग्रेस के लिए राहत भरी खबर आई.
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के अंदर उथल-पुथल जारी है. पार्टी के तमाम नेता हार की अपने-अपने तरीके से समीक्षा कर रहे हैं. हालांकि इन चुनावों में दक्षिण भारत से कांग्रेस के लिए राहत भरी खबर आई. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने तमिलनाडु में 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से पार्टी ने 8 सीटों पर कब्जा जमाया. साथ ही पार्टी को 12 प्रतिशत वोट भी मिले. तमिलनाडु के नतीजों को देखकर कहा जा रहा है कि भले ही अन्य राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा हो, लेकिन तमिलनाडु में कांग्रेस फिर से अपने पैरों पर खड़ी हो रही है. आपको बता दें कि कांग्रेस ने 1967 में राज्य में सत्ता गंवा दी थी और उसके बाद यह अन्नाद्रमुक या द्रमुक की पिछलग्गू बनकर रह गई है. अब अपने पैरों पर खड़े होने में कांग्रेस को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.  

कांग्रेस में उथल-पुथल के बीच राहुल गांधी से मिले शरद पवार और कुमारस्वामी, की यह अपील

राजनीतिक विश्लेषक रविधरन दुरईस्वामी कहते हैं कि, 'निश्चित ही कांग्रेस तमिलनाडु में पुनर्जीवित होने की स्थिति में हैं. यह जीत केवल द्रमुक के साथ होने की वजह से नहीं मिली है. पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन कई वजहों के एक साथ होने की वजह से किया जो इसके और द्रमुक के पक्ष में थे'. दुरईस्वामी के अनुसार, तमिलनाडु के मतदाताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को वोट दिया, जिन्हें द्रमुक अध्यक्ष एम. के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश किया था. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने पहले भी राष्ट्रीय रुझानों से अलग तस्वीर पेश की है. आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में यहां लोगों ने कांग्रेस को वोट दिया था. लोगों ने 1989 में राजीव गांधी के लिए मतदान किया था और अब फिर से लोगों ने राहुल गांधी वोट दिया है.  

कांग्रेस में उथल-पुथल के बीच अहमद पटेल से मिले मल्लिकार्जुन खड़गे, अटकलें शुरू

मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर सी. लक्ष्मणन के अनुसार, राज्य में किसी भी पार्टी के पक्ष में कोई लहर नहीं थी लेकिन यहां मोदी के खिलाफ बहुत तगड़ी लहर थी. लक्ष्मणन ने कहा, 'अगर कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ा होता तो उसके लिए अपने वोट प्रतिशत को बरकरार रखने में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता'. आपको बता दें कि 2014 में कांग्रेस ने राज्य में अकेले चुनाव लड़ा था और पार्टी को केवल 4.3 प्रतिशत वोट मिले थे. (इनपुट- IANS) 

Video: कांग्रेस को मिलेगा नया अध्यक्ष?

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com