चारों को सजा-ए-मौत देते हुए जज योगेश खन्ना ने कहा कि मरते दम तक लड़की को टॉर्चर किया गया। वह एक असहाय महिला थी। ऐसा अपराध बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। हम ऐसे जघन्य अपराध पर आंखें मूंदें नहीं रह सकते।
जज ने कहा, अन्य अपराधों पर चर्चा के अलावा, मैं सीधे आईपीसी की धारा 302 (हत्या) पर आता हूं। यह दोषियों के अमानवीय स्वभाव के अंतर्गत आता है और उन्होंने जो अपराध किया है, उसकी गंभीरता बर्दाश्त नहीं की जा सकती। चारों दोषियों को मौत की सजा दी जाती है। जज ने कहा कि मुकेश सिंह (26), अक्षय ठाकुर (28), पवन गुप्ता (19) और विनय शर्मा (20) द्वारा किया गया अपराध दुर्लभतम श्रेणी में आता है, जिसके लिए सजा-ए-मौत जरूरी है।
जज ने कहा, जब आए दिन महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं, ऐसे में, इस समय अदालत अपनी आंखें बंद नहीं रख सकता। आदेश का कुछ हिस्सा पढ़ते हुए अदालत ने कहा, जिस जघन्य तरीके से पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उसकी हत्या की गई, उसकी कोई तुलना नहीं है, मामला दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में आता है और इसके लिए ऐसी सजा दी जानी चाहिए, जो एक उदाहरण हो। सभी को मौत की सजा दी जाती है।
अदालत ने कहा, यह समय है जब महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध सामने आ रहे हैं और अब महिलाओं का भरोसा बनाए रखना न्यायपालिका की जिम्मेदारी है। चारों को हत्या के अलावा सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक यौनाचार, हत्या के प्रयास, डकैती, सबूतों को नष्ट करने, साजिश, हत्या के लिए अपहरण का भी दोषी ठहराया गया। चारों को हालांकि डकैती में हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया।
घटना पिछले साल 16 दिसंबर की है, जब दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में पीड़ित लड़की के साथ गैंगरेप किया गया था। गंभीर रूप से घायल लड़की को इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया, जहां 29 दिसंबर को उसकी मौत हो गई थी।
(इनपुट एजेंसियों से भी)