महात्मा गांधी हत्या की दोबारा जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 4 हफ्ते बाद करेगा सुनवाई (प्रतीकात्मक फोटो)
नई दिल्ली:
महात्मा गांधी हत्या की दोबारा जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 4 हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगा. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि महज एक फोटो के आधार पर कैसे सुनवाई कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि कोर्ट को इस मामले में कानून के मुताबिक चलना होता है. इतने सालों बाद इस केस में कोई सबूत नहीं आ सकता ना ही कोई गवाह जिंदा बचा है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि तीन बातों पर अपना पक्ष रखें- 1. याचिका को लेकर देरी 2. आपका इस मामले में फोकस क्या है 3. अब इस मामले में कोई सबूत नहीं है और न ही कोई गवाह जीवित है तो मामले की सुनवाई आगे कैसे बढ़ेगी. कोर्ट ने कहा कि घटना को घटे एक लंबा समय हो चुका है, ऐसे में अब कोई ऐसा गवाह नहीं है जिसे विश्वसनीय माना जाए.
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सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि एक फोटोग्राफ के आधार पर सुनवाई कैसे कर सकते हैं जबकि कानून के मुताबिक फोटो लेने वाले को ये बताना होगा कि किन परिस्थितियों में फ़ोटो ली गई है. सुप्रीम कोर्ट 4 हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगा. इससे पहले महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच कराने के मामले में एक नया मोड़ आ गया था. महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की जरूरत ना बताते हुए एमिक्स क्यूरी वरिष्ठ वकील अमरेंद्र शरण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे ये साबित हो महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे की जगह किसी और ने की हो.अमरेंद्र शरण ने अपने जवाब में कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो याचिकाकर्ता पंकज फडणवीस के उस दावे को साबित करे जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी को चार गोलियां लगी थी ये दावा किया था.
अमरेंद्र शरण ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जो ये साबित करे कि महात्मा गांधी की हत्या के पीछे किसी और का हाथ था. सुप्रीम कोर्ट ने अमरेंद्र शरण को इस मामले में एमिकस नियुक्त किया था. याचिकाकर्ता पंकज फडनीस ने महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की मांग की है. याचिकाकर्ता पंकज फडनीस ने सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल कर यह दावा किया है कि इस मामले में फांसी पर लटकने वाले नारायण दत्तारेय आप्टे की पहचान पर संदेह है. याचिकाकर्ता ने गांधी की हत्या में विदेशी हाथ होने की आशंका जताई है. अभिनव भारत के ट्रस्टी पंकज फडनीस की इस याचिका में कहा गया है कि 1966 में गांधी की हत्या के पीछे साजिश का पता लगाने के लिए गठित जस्टिस जेएल कपूर जांच आयोग ने कहा था कि आप्टे भारतीय वायु सेना में था लेकिन पिछले साल सात जनवरी को तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पारिकर ने याचिकाकर्ता को जानकारी दी थी कि आप्टे के भारतीय वायु सेना में होने की कोई जानकारी नहीं है. याचिकाकर्ता ने पर्रिकर से मिले इस पत्र को याचिका के साथ जोड़ा है.
पूर्व रक्षा मंत्री से मिली जानकारी के आधार पर याचिकाकर्ता ने कहा कि यह साबित करता है कि 30 जनवरी 1948 को हुई महात्मा गांधी की हत्या में विदेशी हाथ था. याचिकाकर्ता को भेजे पत्र में पर्रिकर ने कहा है, 'मैंने इस मामले की तहकीकात कराई थी. भारतीय वायुसेना की विभिन्न एजेंसी, रक्षा मंत्रालय केइतिहास प्रभाव और यूनाइटेड किंग्डम की एजेंसी से आप्टे केबारे में जानकारी मांगी गई थी. सभी एजेंसियों ने कहा कि उनके पास आप्टे को लेकर कोई रिकॉर्ड नहीं है. पत्र में यह भी कहा गया था कि साल 1949-46 के भारतीय राजपत्र(वायुसेना संभाग) की भी जांच की गई लेकिन आप्टे के भारतीय वायु सेना में अधिकारी होने की कोई जानकारी नहीं है. पर्रिकर के इस पत्र केआधार पर याचिकाकर्ता फडणीस का कहना है कि आप्टे के ब्रिटिश फोर्स में होने की प्रबल आशंका है और इसका पता पुन:जांच से ही चल सकता है.
पिछली सुनवाई में 1948 में महात्मा गांधी की हत्या की फिर से जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के दौरान गाँधी जी के पोते तुषार गांधी ने इस मामले में पक्षकार बनने की मांग की थी और दुबारा जांच की मांग वाली याचिका का विरोध किया था. वही पूर्व इस मामले में अमीकस क्यूरी अमरेंद्र शरण ने कहा कि उन्हें 4 हफ़्ते का समय दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने तुषार गांधी के वक़ील इंद्रा जय सिंह से पूछा कि इस मामले में उनका पक्षकार बनने का आधार क्या है.कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सेंटिमेंट के अलावा आपका क्या आधार है कि आपको पक्ष बनाया जाए. पिछली सुनवाई में कोर्ट इस मामले में कोर्ट की मदद के लिए पूर्व अडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमरेंद्र शरण को सलाहकार (अमीकस क्यूरी) नियुक्त किया.
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दरअसल, याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि राष्ट्रपिता की हत्या एक संदिग्ध व्यक्ति ने की थी, जिसने उन पर 'चौथी गोली' दागी थी. याचिकाकर्ता ने एक डॉक्यूमेंट्री के साक्ष्यों का हवाला देते हुए दावा किया है कि महात्मा गांधी के असली हत्यारे को कभी पकड़ा नहीं गया. गौरतलब है कि 'अभिनव भारत' के संस्थापक पंकज फड़नीस की याचिका पर बेंच सुनवाई कर रही है. उन्होंने बापू की हत्या में तीन गोली मारने की बात को चुनौती दी है. इससे पहले पंकज की याचिका बांबे हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी, जिसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. उन्होंने अपने दावों के आधार पर जोर देकर कहा है कि बापू पर चौथी गोली दागी गई थी और उसी से उनकी जान गई.
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सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि एक फोटोग्राफ के आधार पर सुनवाई कैसे कर सकते हैं जबकि कानून के मुताबिक फोटो लेने वाले को ये बताना होगा कि किन परिस्थितियों में फ़ोटो ली गई है. सुप्रीम कोर्ट 4 हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगा. इससे पहले महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच कराने के मामले में एक नया मोड़ आ गया था. महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की जरूरत ना बताते हुए एमिक्स क्यूरी वरिष्ठ वकील अमरेंद्र शरण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे ये साबित हो महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे की जगह किसी और ने की हो.अमरेंद्र शरण ने अपने जवाब में कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो याचिकाकर्ता पंकज फडणवीस के उस दावे को साबित करे जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी को चार गोलियां लगी थी ये दावा किया था.
अमरेंद्र शरण ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जो ये साबित करे कि महात्मा गांधी की हत्या के पीछे किसी और का हाथ था. सुप्रीम कोर्ट ने अमरेंद्र शरण को इस मामले में एमिकस नियुक्त किया था. याचिकाकर्ता पंकज फडनीस ने महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की मांग की है. याचिकाकर्ता पंकज फडनीस ने सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल कर यह दावा किया है कि इस मामले में फांसी पर लटकने वाले नारायण दत्तारेय आप्टे की पहचान पर संदेह है. याचिकाकर्ता ने गांधी की हत्या में विदेशी हाथ होने की आशंका जताई है. अभिनव भारत के ट्रस्टी पंकज फडनीस की इस याचिका में कहा गया है कि 1966 में गांधी की हत्या के पीछे साजिश का पता लगाने के लिए गठित जस्टिस जेएल कपूर जांच आयोग ने कहा था कि आप्टे भारतीय वायु सेना में था लेकिन पिछले साल सात जनवरी को तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पारिकर ने याचिकाकर्ता को जानकारी दी थी कि आप्टे के भारतीय वायु सेना में होने की कोई जानकारी नहीं है. याचिकाकर्ता ने पर्रिकर से मिले इस पत्र को याचिका के साथ जोड़ा है.
पूर्व रक्षा मंत्री से मिली जानकारी के आधार पर याचिकाकर्ता ने कहा कि यह साबित करता है कि 30 जनवरी 1948 को हुई महात्मा गांधी की हत्या में विदेशी हाथ था. याचिकाकर्ता को भेजे पत्र में पर्रिकर ने कहा है, 'मैंने इस मामले की तहकीकात कराई थी. भारतीय वायुसेना की विभिन्न एजेंसी, रक्षा मंत्रालय केइतिहास प्रभाव और यूनाइटेड किंग्डम की एजेंसी से आप्टे केबारे में जानकारी मांगी गई थी. सभी एजेंसियों ने कहा कि उनके पास आप्टे को लेकर कोई रिकॉर्ड नहीं है. पत्र में यह भी कहा गया था कि साल 1949-46 के भारतीय राजपत्र(वायुसेना संभाग) की भी जांच की गई लेकिन आप्टे के भारतीय वायु सेना में अधिकारी होने की कोई जानकारी नहीं है. पर्रिकर के इस पत्र केआधार पर याचिकाकर्ता फडणीस का कहना है कि आप्टे के ब्रिटिश फोर्स में होने की प्रबल आशंका है और इसका पता पुन:जांच से ही चल सकता है.
पिछली सुनवाई में 1948 में महात्मा गांधी की हत्या की फिर से जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के दौरान गाँधी जी के पोते तुषार गांधी ने इस मामले में पक्षकार बनने की मांग की थी और दुबारा जांच की मांग वाली याचिका का विरोध किया था. वही पूर्व इस मामले में अमीकस क्यूरी अमरेंद्र शरण ने कहा कि उन्हें 4 हफ़्ते का समय दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने तुषार गांधी के वक़ील इंद्रा जय सिंह से पूछा कि इस मामले में उनका पक्षकार बनने का आधार क्या है.कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सेंटिमेंट के अलावा आपका क्या आधार है कि आपको पक्ष बनाया जाए. पिछली सुनवाई में कोर्ट इस मामले में कोर्ट की मदद के लिए पूर्व अडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमरेंद्र शरण को सलाहकार (अमीकस क्यूरी) नियुक्त किया.
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दरअसल, याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि राष्ट्रपिता की हत्या एक संदिग्ध व्यक्ति ने की थी, जिसने उन पर 'चौथी गोली' दागी थी. याचिकाकर्ता ने एक डॉक्यूमेंट्री के साक्ष्यों का हवाला देते हुए दावा किया है कि महात्मा गांधी के असली हत्यारे को कभी पकड़ा नहीं गया. गौरतलब है कि 'अभिनव भारत' के संस्थापक पंकज फड़नीस की याचिका पर बेंच सुनवाई कर रही है. उन्होंने बापू की हत्या में तीन गोली मारने की बात को चुनौती दी है. इससे पहले पंकज की याचिका बांबे हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी, जिसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. उन्होंने अपने दावों के आधार पर जोर देकर कहा है कि बापू पर चौथी गोली दागी गई थी और उसी से उनकी जान गई.
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