प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
भारतीय वायुसेना रविवार से पंद्रह दिन तक चलने वाले अब तक के सबसे बड़े युद्धाभ्यास गगन शक्ति 2018 की शुरुआत करने जा रही है. ये अभ्यास देश की उत्तरी और पूर्वी सीमा पर फोकस रख कर होगा. इस बड़े अभ्यास में वायुसेना की सभी ऑपरेशनल कमांड्स हिस्सा लेंगी.
युद्ध अभ्यास के दौरान एयर सपोर्ट, नेटवर्क सेंट्रिक वॉरफेयर, अटैक, काउंटर अटैक, सेना के दूसरे अन्य अंगों के साथ संयुक्त ऑपरेशन आदि बातों पर ज़ोर दिया जाएगा. देश में ही बना स्वदेशी तेजस पहली बार किसी युद्ध अभ्यास में हिस्सा लेगा. साथ ही सुखोई-30, मिग-21, मिग-29, जगुआर और मिराज जैसे एयरफोर्स के 500 से ज्यादा लड़ाकू विमान हिस्सा लेंगे. लड़ाकू विमानों के अलावा बड़े परिवहन विमान सी-17 ग्लोब मास्टर, सी-130 जे सुपर हर्क्युलिस भी अभ्यास में
शामिल होंगे.
खास बात यह है कि इस एक्सरसाइज़ के दौरान वायुसेना में ही अपनी और दुश्मन की वायुसेना बनाई जाएगी. यानी रेड फोर्स, ब्लू फोर्स और व्हाइट फोर्स. ब्लू फोर्स भारत की होगी, जबकि रेड फोर्स दुश्मन की वायुसेना मानी जाएगी. व्हाइट फोर्स की भूमिका न्यूट्रल या रेफरी की होगी.
आठ से 22 अप्रैल तक चलने वाले इस अभ्यास में देश को भी अपने और दुश्मन के इलाके में बांटा जाएगा. व्हाइट फोर्स की भूमिका सभी अभ्यास के अलग-अलग पहलुओं पर नज़र रख उनको रिकॉर्ड करने की होगी. व्हाइट फोर्स इस बात का विश्लेषण करेगी कि अभ्यास में किसने कितने बेहतर अटैक किए, काउंटर अटैक किए और कितनी बार अपने लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाकर ठिकानों को तबाह किया.
इस अभ्यास में हाल ही में वायुसेना में फाइटर पायलट बनीं तीनों महिलाएं लेफ्टिनेंट अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कांत शामिल होंगी. अभ्यास के दौरान यह भी परखा जाएगा कि युद्ध के हालात में कितनी मुस्तैदी से अपने सैन्य संसाधनों की तैनाती की जा सकती है और जब दुश्मन सामने हो तो कितनी तेजी के साथ वायुसेना हमला कर उसको बरबाद करेगी.
युद्ध अभ्यास के दौरान एयर सपोर्ट, नेटवर्क सेंट्रिक वॉरफेयर, अटैक, काउंटर अटैक, सेना के दूसरे अन्य अंगों के साथ संयुक्त ऑपरेशन आदि बातों पर ज़ोर दिया जाएगा. देश में ही बना स्वदेशी तेजस पहली बार किसी युद्ध अभ्यास में हिस्सा लेगा. साथ ही सुखोई-30, मिग-21, मिग-29, जगुआर और मिराज जैसे एयरफोर्स के 500 से ज्यादा लड़ाकू विमान हिस्सा लेंगे. लड़ाकू विमानों के अलावा बड़े परिवहन विमान सी-17 ग्लोब मास्टर, सी-130 जे सुपर हर्क्युलिस भी अभ्यास में
शामिल होंगे.
खास बात यह है कि इस एक्सरसाइज़ के दौरान वायुसेना में ही अपनी और दुश्मन की वायुसेना बनाई जाएगी. यानी रेड फोर्स, ब्लू फोर्स और व्हाइट फोर्स. ब्लू फोर्स भारत की होगी, जबकि रेड फोर्स दुश्मन की वायुसेना मानी जाएगी. व्हाइट फोर्स की भूमिका न्यूट्रल या रेफरी की होगी.
आठ से 22 अप्रैल तक चलने वाले इस अभ्यास में देश को भी अपने और दुश्मन के इलाके में बांटा जाएगा. व्हाइट फोर्स की भूमिका सभी अभ्यास के अलग-अलग पहलुओं पर नज़र रख उनको रिकॉर्ड करने की होगी. व्हाइट फोर्स इस बात का विश्लेषण करेगी कि अभ्यास में किसने कितने बेहतर अटैक किए, काउंटर अटैक किए और कितनी बार अपने लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाकर ठिकानों को तबाह किया.
इस अभ्यास में हाल ही में वायुसेना में फाइटर पायलट बनीं तीनों महिलाएं लेफ्टिनेंट अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कांत शामिल होंगी. अभ्यास के दौरान यह भी परखा जाएगा कि युद्ध के हालात में कितनी मुस्तैदी से अपने सैन्य संसाधनों की तैनाती की जा सकती है और जब दुश्मन सामने हो तो कितनी तेजी के साथ वायुसेना हमला कर उसको बरबाद करेगी.
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