अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी की झलक.
नई दिल्ली:
कश्मीर में 29 जून से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा सोमवार को संपन्न हो गया. श्रावणी पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन के दिन करीब 150 श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा के दर्शन किए. अब तक 40 दिनों के भीतर करीब 2.60 लाख श्रद्धालुओं ने हिमलिंग के दर्शन किए हैं. इस बार अमरनाथ यात्रा में 60 श्रद्धालुओं की मौत भी हो गई. वैसे जहां बीते साल यहां करीब 2.20 लाख यात्री आये थे.
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इस यात्रा की प्रतीक पावन पवित्र ‘छड़ी मुबारक’ को सोमवार को पवित्र गुफा में भी स्थापित किया गया. इसे लेकर साधुओं का एक दल श्रीनगर के दशनामी अखाड़े से चला था. इस दल का नेतृत्व दशनामी अखाड़े के महंत दीपेंद्र गिरि ने किया था. पूजा प्रतिष्ठा के बाद इस ‘छड़ी मुबारक’ को पुनः उसी अखाड़े में स्थापित कर दिया जाएगा.
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अमरनाथ यात्रा दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग जिले के पहलगाम मार्ग और गांदरबल जिले के बालटाल मार्ग से 29 जून जुलाई को शुरू हुई थी. ज्यादातर तीर्थयात्रियों ने 45 किलोमीटर लंबे पारंपरिक पहलगाम चंदनबाड़ी रास्ते के बजाय 16 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से ही यात्रा की.
वीडियो: अमरनाथ हमले की साजिश रचने वाले तीन आरोपी गिरफ्तार
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश केमुताबिक अधिकारियों ने यात्रा को नियंत्रित रखने में पूरी सावधानी बरती. कोशिस हुई कि इस यात्रा में किसी गैरपंजीकृत यात्री को शामिल होने नहीं दिया गया. पंजीकृत यात्रियों को सिर्फ उनके तय अवधि के दिन यात्रा करने की इजाजत दी गई.
अब जबकि यात्रा संपन्न हो गई है तो सरकार ने राहत की सांस ली है. खासकर सुरक्षाबलों ने अपनी मेहनत, चौकसी और सर्तकत्ता की वजह से उन सभी नापाक कोशिशों को नाकाम बना दिया जो यात्रा के लिए घातक साबित हो सकते थे .
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इस यात्रा की प्रतीक पावन पवित्र ‘छड़ी मुबारक’ को सोमवार को पवित्र गुफा में भी स्थापित किया गया. इसे लेकर साधुओं का एक दल श्रीनगर के दशनामी अखाड़े से चला था. इस दल का नेतृत्व दशनामी अखाड़े के महंत दीपेंद्र गिरि ने किया था. पूजा प्रतिष्ठा के बाद इस ‘छड़ी मुबारक’ को पुनः उसी अखाड़े में स्थापित कर दिया जाएगा.
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अमरनाथ यात्रा दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग जिले के पहलगाम मार्ग और गांदरबल जिले के बालटाल मार्ग से 29 जून जुलाई को शुरू हुई थी. ज्यादातर तीर्थयात्रियों ने 45 किलोमीटर लंबे पारंपरिक पहलगाम चंदनबाड़ी रास्ते के बजाय 16 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से ही यात्रा की.
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सर्वोच्च न्यायालय के आदेश केमुताबिक अधिकारियों ने यात्रा को नियंत्रित रखने में पूरी सावधानी बरती. कोशिस हुई कि इस यात्रा में किसी गैरपंजीकृत यात्री को शामिल होने नहीं दिया गया. पंजीकृत यात्रियों को सिर्फ उनके तय अवधि के दिन यात्रा करने की इजाजत दी गई.
अब जबकि यात्रा संपन्न हो गई है तो सरकार ने राहत की सांस ली है. खासकर सुरक्षाबलों ने अपनी मेहनत, चौकसी और सर्तकत्ता की वजह से उन सभी नापाक कोशिशों को नाकाम बना दिया जो यात्रा के लिए घातक साबित हो सकते थे .
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