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This Article is From Mar 23, 2018

अरुण शौरी बोले, 1977 में किसी चेहरे ने इंदिरा को नहीं हराया था, वैसे ही 2019 में नरेंद्र मोदी को हराने के लिए...

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी का मानना है कि 2019 के चुनावों के लिए भाजपा के खिलाफ एक मोर्चो बनाने के लिए यह सही समय नहीं है.

अरुण शौरी बोले, 1977 में किसी चेहरे ने इंदिरा को नहीं हराया था, वैसे ही 2019 में नरेंद्र मोदी को हराने के लिए...
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी
नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से विपक्षी दलों के बीच एकता नजर आ रही है लेकिन लगता है कि 2019 के चुनावों के लिए भाजपा के खिलाफ एक मोर्चो बनाने के लिए यह सही समय नहीं है. 

शौरी ने कहा कि केंद्र सरकार के खिलाफ महागठबंधन के लिए किसी चेहरे की ज़रूरत नहीं है. उन्होंने इसके लिए गुलिवर और लिलिपुट का उदाहरण भी दिया. उन्‍होंने एनडीटीवी से कहा कि वर्ष 1977 में भी इंदिरा गांधी के खिलाफ भी कोई चेहरा नहीं था. उन्‍होंने कहा कि राजनीतिक दलों की तुलना में राजनीति बहुत बड़ी है. 

25 साल बाद बसपा-सपा के नजदीक आने से यूपी उपचुनाव में बीजेपी की हार पर शौरी ने कहा कि विपक्षी दलों को एक-दूसरे के और अधिक नजदीक आकर काम करना चाहिए. पीएम मोदी के प्रशंसक रहे शौरी ने विपक्ष के खिलाफ अभियान चलाने की उन्‍होंने आलोचना की.

उन्‍होंने कहा कि मुझे लगता है कि विपक्ष को एक साथ लाने के लिए पीएम मोदी बहुत कड़ी मेहनत कर रहे हैं और वह सफल होंगे. क्योंकि उन्होंने विपक्ष को आश्वस्त किया है कि हां, मैं आप में से हर एक को नष्ट कर दूंगा. फिर ममता बनर्जी हो या एक्‍स या वाई हो. अगर तुम सब एक साथ नहीं आ जाते तो तुम्‍हारे हार एक की हार का खतरा बना रहेगा. 

अरुण शौरी ने कहा कि विपक्ष ही नहीं बीजेपी के सहयोगी पार्टियां भी सोचते हैं कि अगर ये वापस आए तो उनका पतना होगा. 


 

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