जस्टिस सीएस कर्णन की फाइल फोटो.
नई दिल्ली:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश सीएस कर्णन की न्यायालय अवमानना अधिनियम (कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट्स एक्ट) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा, 'वर्तमान मामले में न्यायालय अवमानना अधिनियम की संवैधानिकता को दी गई चुनौती मान्य नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय ने अदालत की अवमानना कानून के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल नहीं किया है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 129 के तहत अपने अंतर्निहित अधिकार क्षेत्र को लागू किया है.'
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कर्णन ने उच्च न्यायालय से यह घोषणा करने की मांग की थी कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 9 मई को उन्हें दिए गया सजा का आदेश और इसके तहत आगे की कार्यवाही 'असंवैधानिक और शून्य' है क्योंकि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का कथित तौर पर पालन नहीं किया गया था. खंडपीठ ने कर्णन की ओर से दिए गए तर्क को खारिज कर दिया कि उन्हें छह महीने की जेल की सजा देने में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया. अदालत ने कहा कि यह नोट किया गया है कि याचिकाकर्ता (कर्णन को) को अदालत में अपनी रक्षा करने का पर्याप्त मौका दिया गया था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया था.
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