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This Article is From Apr 18, 2022

थोक महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए RBI करे तुरंत हस्तक्षेप : अर्थशास्त्री वेद जैन

थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति (WPI) मार्च में चार महीने के उच्च स्तर 14.55%पर पहुंच गई है. ये बढ़ोतरी मुख्य रूप से कच्चे तेल और वस्तुओं की कीमतों तेजी के चलते हुई है.

थोक महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए RBI करे तुरंत हस्तक्षेप : अर्थशास्त्री वेद जैन
प्रतीकात्‍मक फोटो
नई दिल्‍ली:

अर्थशास्त्री और इंडियन चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष वेद जैन ने थोक महंगाई दर में बढ़ोत्‍तरी को चिंता का कारण माना है. उन्‍होंने कहा कि महंगाई आम आदमी के लिए चुनौती बन चुकी है और इसे काबू में करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI)को हस्‍तक्षेप करना होगा. जैन ने NDTV से विशेष बातचीत में कहा,' थोक महंगाई दर में बढ़ोतरी बेहद चिंताजनक है.आम आदमी के लिए महंगाई परेशानी का कारण बन गई है और  महंगाई नियंत्रित करने के लिए RBI को हस्तक्षेप करना होगा. जैन ने कहा, 'मेरे हिसाब से समय से पहले आरबीआई को हस्तक्षेप करना पड़ेगा.महंगाई को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई को पहले मनी सप्लाई को कंट्रोल करना होगा. इससे इंटरेस्ट रेट बढ़ेंगे जिसका असर ग्रोथ और एंप्लॉयमेंट पर पड़ेगा यानी आम आदमी पर महंगाई का डबल इंपैक्ट होगा. एक अन्‍य सवाल पर जैन ने कहा कि कच्चा तेल फिर महंगा होने लगा है,इसका असर अगले महीने दिख सकता है. 

गौरतलब है कि थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति (WPI) मार्च में चार महीने के उच्च स्तर 14.55%पर पहुंच गई है. ये बढ़ोतरी मुख्य रूप से कच्चे तेल और वस्तुओं की कीमतों तेजी के चलते हुई है. जबकि इस दौरान सब्जियों की कीमतों में कमी देखी गई है. सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2021 से लेकर लगातार 12वें महीने में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति दो अंकों में बनी हुई है. इससे पहले नवंबर 2021 में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति 14.87 प्रतिशत थी. फरवरी 2022 में डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति 13.11 प्रतिशत थी, जबकि मार्च 2021 में यह 7.89 प्रतिशत थी.

समीक्षाधीन माह में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 8.06 प्रतिशत रही, जो फरवरी में 8.19 प्रतिशत थी. इस दौरान सब्जियों की महंगाई दर 26.93 फीसदी से घटकर 19.88 फीसदी रही. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'मार्च 2022 में ऊंची मुद्रास्फीति मुख्य रूप से कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, मूल धातुओं आदि की कीमतों में वृद्धि के चलते रही. रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण भी महंगाई बढ़ी.'

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