संकट में फंसी आईसीआईसीआई की पूर्व मुख्य कार्यकारी चंदा कोचर ने बुधवार को कहा कि बैंक में कर्ज देने का कोई भी फैसला एकतरफा नहीं किया गया था. कोचर ने यह प्रतिक्रिया वीडियोकॉन ग्रुप को दिए गए 3,250 करोड़ रुपये के विवादास्पद लोन मामले में न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण कमेटी द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद दी. कमेटी ने कहा कि इस लोन को देने में बैंक के आचार संहिता का उल्लंघन किया गया जिसमें हितों का टकराव का आचरण भी शामिल था, क्योंकि इस कर्ज का एक हिस्सा उनके पति दीपक द्वारा चलाई जा रही कंपनी को दिया गया, जिससे उन्हें कई तरह के वित्तीय फायदे प्राप्त हुए. कोचर ने बुधवार शाम को जारी एक बयान में कहा, "मैं फैसले से बुरी तरह निराश, आहत और परेशान हूं. मुझे रिपोर्ट की कॉपी तक नहीं दी गई. मैं फिर दोहराती हूं कि बैंक में कर्ज देने का कोई भी फैसला एकतरफा नहीं किया गया."
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उन्होंने आगे कहा, "आईसीआईसीआई स्थापित मजबूत प्रक्रियाओं और प्रणालियों वाला संस्थान है, जहां समिति आधारित सामूहिक निर्णय लेने की प्रक्रिया है तथा इसमें कई उच्च क्षमता वाले पेशेवर भी शामिल होते हैं." उन्होंने कहा, "इसलिए संगठन का डिजायन और संरचना हितों के टकराव की संभावना को रोकता है."
ICICI बैंक ने पूर्व CEO चंदा कोचर को किया बर्खास्त , वसूले जाएंगे सभी बोनस और इंक्रीमेंट
बता दें कि आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर को नौकरी से हटाए जाने के अलावा उन्हें मौजूदा और भविष्य में मिलने वाले सभी फ़ायदे बंद कर दिए जाएंगे चाहे वो बोनस हों, इनक्रीमेंट हों, स्टॉक ऑप्शन हों या मेडिकल बेनेफिट. यही नहीं अप्रैल 2009 से मार्च 2018 तक जो भी बोनस उन्हें दिए गए उन्हें वापस वसूला जाएगा. चंदा कोचर के मामले से जुड़ी जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने बैंक को दिए गए सालाना घोषणाएं यानी Annual Disclosures को बताने में ईमानदारी नहीं बरती. जो कि बैंक की अंदरूनी पॉलिसी, कोड ऑफ़ कंडक्ट और भारत के क़ानून के तहत ज़रूरी है. (एजेंसी IANS से)
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