विज्ञापन
This Article is From Aug 24, 2014

घोटालों की रिपोर्ट से नाम हटाने के लिए संप्रग ने मुझ पर दबाव बनाया : पूर्व सीएजी विनोद राय

घोटालों की रिपोर्ट से नाम हटाने के लिए संप्रग ने मुझ पर दबाव बनाया : पूर्व सीएजी विनोद राय
फाइल फोटो
नई दि्ल्ली:

पिछली संप्रग सरकार को और खासतौर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को नई परेशानी में डालते हुए पूर्व नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक (कैग) विनोद राय ने दावा किया है कि संप्रग के पदाधिकारियों ने कुछ नेताओं को इस काम पर लगाया था कि मैं कोलगेट और राष्ट्रमंडल खेल घोटालों से जुड़ी ऑडिट रिपोर्ट से कुछ नामों को हटा दूं।

वहीं कांग्रेस पार्टी की ओर से बोलते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि यह सिर्फ सनसनी फैलाने की कोशिश है। उन्होंने  पूर्व सीएजी की निंदा भी की।


राय ने अपनी किताब में यह दावा भी किया है कि उनके कैग बनने से पहले आईएएस में उनके सहयोगी रहे कुछ लोगों को भी संप्रग के पदाधिकारियों ने नाम हटाने के लिए मुझे मनाने का अनुरोध किया था।

राय ने अपनी आने वाली किताब ‘नॉट जस्ट एन एकाउंटेंट’ में अपने विचार व्यक्त किये हैं जो अक्तूबर में जारी होगी। इस किताब में उसी तरह संप्रग सरकार को आड़े हाथ लिया गया है जिस तरह पिछले दिनों पूर्व प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू, पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह और पूर्व कोयला सचिव पी सी पारेख की किताबों में खुलासे किये गये हैं।

पिछले साल पद छोड़ने वाले राय ने अपनी रिपोर्ट में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में 1.76 लाख करोड़ रपये और कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में 1.86 लाख करोड़ रपये के नुकसान का आकलन किया था। राय ने टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार से बातचीत में सिंह पर निशाना साधा है।

उन्होंने कहा कि वह इसका ब्योरा देंगे कि पद पर बने रहने की सोच के चलते सिंह ने किस तरह उन फैसलों पर सहमति जताई जिनसे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।

राय ने कहा, 'सभी में प्रधानमंत्री सबसे ऊपर हैं। उन्हें आखिरी फैसला करना होता है जो उन्होंने कई बार किया और कई बार नहीं किया। केवल सत्ता में बने रहने के लिए सबकुछ न्योछावर नहीं किया जा सकता। गठबंधन राजनीति की मजबूरी की वेदी पर शासन को कुर्बान नहीं किया जा सकता। मैंने किताब में यही बात लिखी है।'

आज जब कुछ संवाददाता राय से मिलने उनके आवास पर पहुंचे तो उन्होंने मिलने और खबर पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। लेकिन उनके करीबी सूत्रों ने कहा, 'किताब में हर शब्द तथ्यात्मक रूप से सही है। इसका उद्देश्य किसी की छवि खराब करना नहीं है, बल्कि भविष्य में शासन और व्यवस्था में सुधार करना है। किताब की भाषा इतनी सरल है कि इसे विद्यार्थियों समेत सभी वर्गों के लोग समझ सकते हैं।'

जब पूछा गया कि राय ये टिप्पणियां अब क्यों कर रहे हैं और पहले क्यों नहीं कीं तो सूत्रों ने कहा कि उस समय वह संवैधानिक पद पर थे और ऐसा करने से उस संस्था का स्तर कमजोर होता, जिसके वह प्रमुख थे।

सूत्रों ने कहा, ‘‘अब वह इस बारे में बात करने के लिए स्वतंत्र हैं और किताब में उन्होंने हर उस व्यक्ति के बारे में नाम लेकर लिखा है, जिन्होंने ऑडिट करने के कैग के कार्यक्षेत्र की और संस्था की निंदा की थी।’’

उन्होंने कहा कि किताब का शीर्षक एक जनहित याचिका पर दिए गए फैसले में उच्चतम न्यायालय द्वारा की गई इस टिप्पणी से प्रभावित है कि 'कैग केवल एक मुनीम नहीं है।''

राय ने यह खुलासा भी किया है कि संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) की बैठक में कांग्रेस के सदस्यों ने उन पर दबाव बनाया था और उनसे मुश्किल तथा प्रतिकूल सवाल पूछे थे।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com