वैसे 'आधिकारिक' तौर पर जम्मू-कश्मीर में बाढ़ का खतरा फिलहाल टल गया है, पर कश्मीरियों के लिए नहीं। मौसम विभाग के अनुसार बुधवार से चार दिनों के लिए मौसम फिर खराब होगा और भारी बारिश होने की आशंका है।
झेलम में पानी फिलहाल खतरे के निशान से नीचे बह रहा है, पर श्रीनगर के डल झील में बढ़ते पानी के स्तर से आसपास रहने वाले लोग डरे हुए हैं। दक्षिण कश्मीर के संगम में झेलम 16.45 फुट पर बह रही है। 24 घंटे पहले यह 22.80 फुट पर उफन रही थी।
श्रीनगर के राम मुंशी बाग में भी पानी का स्तर डेढ़ फुट तक कम हो गया है और दिन में इसके और घटने की उम्मीद है। आसमान में बादल छाए हुए हैं, लेकिन पिछले 24 घंटे से ताजा बारिश नहीं हुई, जिससे बाढ़ की आशंका कम हो गई है।
केंद्र सरकार के अनुसार जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के हालात अभी पिछले साल जितने गंभीर नहीं हैं, लेकिन अधिकारी किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार हैं। बडगाम जिले में लादेन गांव में मलबे के तले से छह शव मिले हैं, जिसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़ से मरने वालों की तादाद 16 तक पहुंच गई है। भूस्खलन में फंसे एक व्यक्ति की मौत होने की आशंका है। बडगाम जिले में सोमवार को हुई बारिश की वजह से जमीन धंस गई थी और दो परिवार मलबे में दब गए।
बारिश के पानी से घिरे इलाकों से लोगों को निकालने का काम जारी है। एनडीआरएफ की आठ टीमें कश्मीर पहुंच चुकी हैं। चार हेलीकॉप्टरों के साथ सेना को मुस्तैद रखा गया है, ताकि स्थानीय अधिकारी अगर घाटी में बाढ़ की स्थिति घोषित करें तो इन्हें तत्काल तैनात किया जा सके। शनिवार और रविवार को भारी बारिश की वजह से झेलम और उसकी सहायक धाराओं में पानी का स्तर अचानक बढ़ गया और घाटी के लोग सात महीने पहले आई प्रलंयकारी बाढ़ को याद कर आशंका से सहम गए।
केंद्र सरकार ने सोमवार को तत्काल सहायता के तौर पर राज्य को 200 करोड़ रुपये दिए हैं। पिछले साल सितंबर में 'धरती के स्वर्ग' को तबाह करने वाली बाढ़ में 300 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग बेघर हो गए थे।
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