यह ख़बर 01 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

मेघालय में बाढ़ से 75,000 बेघर, राहत कार्य तेज

खास बातें

  • पूर्वोत्तर राज्यों में कई नदियों का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की स्थिति भयावह हो गई है। अकेले मेघालय में 75,000 लोग बेघर हो गए हैं।
शिलांग/नई दिल्ली:

पूर्वोत्तर राज्यों में कई नदियों का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की स्थिति भयावह हो गई है। अकेले मेघालय में 75,000 लोग बेघर हो गए हैं। सेना की इकाइयों ने राहत एवं बचाव कार्य तेज कर दिया है।  

पश्चिमी गारो हिल्स जिले के आयुक्त प्रवीण बक्षी ने आईएएनएस को बताया कि ब्रह्मपुत्र और जिंगिरम नदियों में आए उफान से 15,000 से ज्यादा मकान डूब गए हैं।

मेघालय के गारो हिल्स की प्रमुख नदियों में से एक जिंगिरम के मुख्य तटबंध में दरार आ जाने की वजह से इसका पानी निचले इलाकों में भर गया है।

अभी तक हालांकि किसी की मौत की खबर नहीं है।

जिला प्रशासन ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए नावों की मांग की है तथा सिविल डिफेंस और होमगार्ड की मदद मांगी है।

बक्षी के मुताबिक  बेघर हुए लोगों को ठहराने के लिए 15 शिविर लगाए गए हैं।

उधर, दिल्ली में, सेना के प्रवक्ता वीरेंद्र सिंह ने कहा कि असम और अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों में उफान आने से स्थिति भयावह हो गई है। बाढ़ग्रस्त इलाकों में कुल 122 राहत एवं बचाव दल तैनात किए गए हैं।

सिंह के अनुसार, असम में सोनितपुर, कामरूप, बारपेटा, तिनसुकिया, शिवसागर, जोरहाट, धेमाजी, बाकसा, नलबाड़ी और दारांग इलाकों तथा अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग में राहत अभियान जारी है। उन्होंने बताया कि हजारों फंसे लोगों बचाने के लिए सेना की टीमें 122 नावों और बाहरी इंजनों तथा 540 जीवन रक्षक जैकेटों का इस्तेमाल कर रही हैं।

अब तक लगभग 3,500 लोगों को बचाया गया है, जबकि सौ से अधिक घायलों को चिकित्सा सहायता दी गई है। जिला प्रशासन ने बाढ़ में फंसे लोगों के बीच भोजन के 180 पैकेटों के अलावा लगभग 3,000 किलो राशन वितरित किया है।

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सिंह ने बताया कि राहत कार्य में हेलीकॉप्टरों का उपयोग भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "सैन्य सर्वेक्षण दल स्थानीय प्रशासन की मदद से प्रभावित इलाकों की पहचान कर रहे हैं, ताकि लोगों को तुरंत राहत मुहैया कराई जा सके।"