वर्ष 2018 (Flashback 2018) राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर भी खास तौर पर याद किया जाएगा. इन घटनाक्रमों में कुछ ऐसे राजनीतिक फैसले भी हैं जिनका जोरशोर से विरोध किया गया था. इन फैसलों की वजह से विपक्ष तो विपक्ष कई बार सरकार को आम लोगों की भी नाराजगी झेलनी पड़ी थी. इन घटनाओं (Flashback 2018) में खासतौर पर सरदार पटेल की मूर्ति का शिलान्यास (Statue of Unity) , अयोध्या में राम मूर्ति का निर्माण की घोषणा (Statue of Lord Ram), योगी सरकार (Yogi Government) द्वारा मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलने की घोषणा और इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज (PrayagRaj) करना मुख्य रूप से शामिल हैं. आइये जानते हैं इस साल हुए ऐसे ही हुए कुछ मामलों के बारे में-
सरदार पटेल की मूर्ति को लेकर विवाद
गुजरात के आदिवासी, किसान बहुल गांव केवाडिया में बनी सरदार पटेल की मूर्ति को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के नाम से भी जाना जाता है. पीएम नरेंद्र मोदी ने इस साल 31 अक्टूबर को इस मूर्ति का अनावरण किया था. बता दें कि यह विश्व में अब सबसे ऊंची मूर्ति है. हालांकि इस मूर्ति के शिलांयास के बाद जमकर राजनीति हुई थी. विपक्ष ने सरकार पर गरीबों और टैक्स चुकाने वालों के पैसे का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था. महाराष्ट्र नव-निर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने तो एक कार्टून बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला था. उन्होंने कार्टून में मूर्ति पर आए करीब 3,000 करोड़ रुपये के खर्च का जिक्र किया था. कार्टून में पटेल की मूर्ति कह रही है कि जितना पैसा इस मूर्ति पर खर्च किया है, उतना ही पैसा जरूरतमंदों की जिंदगी सुधारने में लगाते तो अच्छा होता. इसमें प्रधानमंत्री मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत अन्य मंत्रियों को दिखाया गया है.
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वहीं, बसपा प्रमुख मायावती ने कहा था कि बीजेपी पहले बाबा साहब डॉक्टर आंबेडकर सहित दलितों और अन्य पिछड़े वर्ग के महान संतों, गुरुओं और महापुरुषों के सम्मान में बीएसपी द्वारा बनाई गई मूर्तियों, भवनों, स्थलों, स्मारकों और पार्कों को फिजूलखर्ची बता कर इसकी आलोचना करते थे. अब वह खुद ₹3000 करोड़ खर्च करके सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदर और सम्मान दिखा रहे हैं. यह सिर्फ राजनीति है. उधर, केवाडिया गांव और आसपास के 22 गांव के लोगों ने ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' बनाने को लेकर खासा रोष व्यक्त किया था. सरदार पटेल की मूर्ति को बनाने के लिए सरदार सरोवर डैम पर बहुत तोड़फोड़ की गई है, जिसके चलते गांव वालों में खासा नाराजगी थी. ग्रामीणों का कहना था कि अगर सरदार पटेल जिंदा होते तो इस मूर्ति के लिए की गई तोड़फोड़ को देखकर रो पड़ते.
अयोध्या में राम की मूर्ति निर्माण को लेकर पर मचा घमासान-
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले महीने अयोध्या में भगवान राम की भव्य 221 मीटर की मूर्ति बनाने का ऐलान किया था. यह मूर्ति गुजरात के सरदार सरोवर में लगाई गई सरदार पटेल की मूर्ति स्टेच्यू ऑफ यूनिटी से भी ऊंची होगी. सीएम योगी के इस ऐलान का साधु-संतों ने कड़ा विरोध किया था. साधुओं को कहना था कि भगवान राम और सरदार पटेल के बीच होड़ कतई उचित नहीं है. स्वामी अविमुत्तेश्वर सरस्वती ने कहा था कि भगवान राम की 221 मीटर ऊंची मूर्ति भगवान राम का अपमान है. उन्होंने कहा था कि पक्षी और जीवजंतु खुले में लगी मूर्ति के आसपास घूमेंगे, जिससे इसपर गंदगी फैलेगी. लिहाजा भगवान की मूर्ति को सिर्फ मंदिर में रखा जा सकता है. वहीं, राजनीति के तौर पर देख रही हैं. सरदार पटेल की मूर्ति के बाद भगवान की मूर्ति बनाने के फैसले पर विपक्ष ने भी हमला किया था. विपक्ष के अनुसार योगी सरकार का यह फैसला सिर्फ चुनाव से पहले लोगों की भावनाओं का फायदा उठाने के लिए किया जा रहा है.
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मुगलसराय स्टेशन के नाम को लेकर विरोध-
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इस साल अगस्त में मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन कर दिया था. इससे पहले योगी सरकार ने जून में इस स्टेशन का नाम बदलने का प्रस्ताव दिया था. इस प्रस्ताव के सार्वजनिक होने के बाद से ही योगी सरकार को विपक्ष का कड़ा विरोध झेलना पड़ा था. सरकार के इस फैसले का समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने राज्यसभा में विरोध किया था. सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा था कि सरकार पहचान बदलना चाहती है. मुगलसराय को पूरी दुनिया में लोग जानते हैं. इसके जवाब में मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा था कि वो लोग मुगलों के नाम पर स्टेशन का नाम रख लेंगे, दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर नहीं रखेंगे. कांग्रेस ने भी योगी सरकार के इस फैसले का विरोध किया था.
इलाहबाद का नाम प्रयागराज करने पर बवाल-
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस साल अक्टूबर में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने का फैसला किया था. सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने यह कदम जनभावनाओं और कुंभ के आयोजन को लेकर उठाया था. राज्य सरकार को अपने इस फैसले के लिए आम जनता और विपक्षी पार्टियों की तरफ से कड़ा विरोध झेलना पड़ा था. स्थानीय लोगों ने नाम में किए गए बदलाव के विरोध में सोशल मीडिया पर एक मुहिम भी शुरू की थी. कई लोगों ने जहां सरकार के इस फैसला का विरोध किया था वहीं कई ऐसे भी थे जो सरकार के इस फैसले के पक्ष में खड़े दिखे. उधर, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध किया था. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक दिन पहले ट्वीट कर नाम बदलने की मंशा पर सवाल खड़े किए थे.
VIDEO: अयोध्या में बनेगी राम की मूर्ति
अखिलेश ने इलाहाबाद का नाम बदलने को आस्था के साथ खिलवाड़ बताया था. उन्होंने सोमवार को ट्वीट कर कहा था कि राजा हर्षवर्धन ने अपने दान से 'प्रयाग कुम्भ' का नाम किया था और आज के शासक केवल 'प्रयागराज' नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहते हैं. इन्होंने तो 'अर्ध कुम्भ' का भी नाम बदलकर 'कुम्भ' कर दिया है. ये परम्परा और आस्था के साथ खिलवाड़ है.
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