
जयपुर:
हाल ही में जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा दो भारतीय जवानों की हत्या और उनमें से एक का सिर धड़ से अलग करने की घटना के बाद उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग में संतुलन बिठाने की बात करते हुए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि कड़ी कार्रवाई करना और भावनात्मक होना दो अलग बातें हैं।
सूत्रों ने बताया कि राहुल ने यहां चिन्तन शिविर में ‘भारत एवं विश्व’ विषय पर गठित उपसमूह की बैठक में शामिल होते हुए यह बात कही। इस समूह की चर्चा में वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ आए थे। उन्होंने चर्चा के बीच में कहा कि ऐसी परिस्थितियों में कड़े कदम उठाए गए हैं लेकिन हमारे फैसले भावनाओं में बहकर नहीं किए जाने चाहिए।
बताया जाता है कि राहुल ने कहा कि भावनात्मक होने और कड़े कदम उठाने दोनों में फर्क है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की इस बर्बर कार्रवाई पर हमने कड़े कदम उठाए हैं लेकिन अपनी प्रतिक्रिया में भावुक नहीं हुए।
चर्चा में एनएसयूआई और युवा कांग्रेस के सदस्य बड़ी संख्या में मौजूद थे। कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने पाकिस्तान की बर्बर कार्रवाई पर उसके खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग करते हुए कहा कि इस बारे में उपसमूह का आधारपत्र थोड़ा हल्का है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को ऐसा संदेश देना चाहिए कि हम मजबूत हैं और ऐसी घटनाओं को हल्के में लेने वाले नहीं हैं।
विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि पड़ोसी देश की ओर से पैदा की गई ऐसी भड़काऊ स्थिति में संतुलन बनाए रखना जरूरी है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस उपसमूह की चर्चा में कल शामिल हुए थे। उन्होंने कहा था कि भारत तो अपने सभी पड़ोसी देशों से अच्छे रिश्ते चाहता है लेकिन पाकिस्तान की ऐसी हरकतों के बाद ऐसा करना मुश्किल हो जाता है।
इससे पहले सोनिया ने भी अपने उद्घाटन भाषण में पाकिस्तान की इस कार्रवाई के खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए कहा था कि पाकिस्तान को सभ्य आचरण के स्वीकार्य सिद्धांत का पालन करना चाहिए।
सूत्रों ने बताया कि राहुल ने यहां चिन्तन शिविर में ‘भारत एवं विश्व’ विषय पर गठित उपसमूह की बैठक में शामिल होते हुए यह बात कही। इस समूह की चर्चा में वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ आए थे। उन्होंने चर्चा के बीच में कहा कि ऐसी परिस्थितियों में कड़े कदम उठाए गए हैं लेकिन हमारे फैसले भावनाओं में बहकर नहीं किए जाने चाहिए।
बताया जाता है कि राहुल ने कहा कि भावनात्मक होने और कड़े कदम उठाने दोनों में फर्क है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की इस बर्बर कार्रवाई पर हमने कड़े कदम उठाए हैं लेकिन अपनी प्रतिक्रिया में भावुक नहीं हुए।
चर्चा में एनएसयूआई और युवा कांग्रेस के सदस्य बड़ी संख्या में मौजूद थे। कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने पाकिस्तान की बर्बर कार्रवाई पर उसके खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग करते हुए कहा कि इस बारे में उपसमूह का आधारपत्र थोड़ा हल्का है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को ऐसा संदेश देना चाहिए कि हम मजबूत हैं और ऐसी घटनाओं को हल्के में लेने वाले नहीं हैं।
विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि पड़ोसी देश की ओर से पैदा की गई ऐसी भड़काऊ स्थिति में संतुलन बनाए रखना जरूरी है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस उपसमूह की चर्चा में कल शामिल हुए थे। उन्होंने कहा था कि भारत तो अपने सभी पड़ोसी देशों से अच्छे रिश्ते चाहता है लेकिन पाकिस्तान की ऐसी हरकतों के बाद ऐसा करना मुश्किल हो जाता है।
इससे पहले सोनिया ने भी अपने उद्घाटन भाषण में पाकिस्तान की इस कार्रवाई के खिलाफ सख्त रवैया अपनाते हुए कहा था कि पाकिस्तान को सभ्य आचरण के स्वीकार्य सिद्धांत का पालन करना चाहिए।
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