मोहम्मद आमिर.
नई दिल्ली:
दिल्ली पुलिस ने जिस शख्स को अलग-अलग 20 आतंकी घटनाओं के मामले में गिरफ्तार किया अब उसी को पुलिस ने 5 लाख का मुआवज़ा दिया है. झूठे मामलों में फंसे इस शख्स ने 14 साल जेल में काटे और जब बरी होकर बाहर आया तो उसकी दुनिया बदल चुकी थी.
मोहम्मद आमिर के लिए जिंदगी का सफर कांटों भरा ही रहा है. जब वह 18 साल के थे तब 20 फरवरी 1998 को दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. आमिर पर आरोप था कि 1996 से लेकर 1998 के बीच दिल्ली और एनसीआर में जो धमाके हुए उनमें आमिर का हाथ है.
मोहम्मद आमिर बताते हैं कि ''मुझको ले जाकर आंखों की पट्टी खोली गई. सारे शरीर के कपड़े भी उतार दिए गए. टॉर्चर का एक सिलसिला शुरू हुआ. सात दिन तक उन लोगों ने अपनी हिरासत में रखा. जब मुझे किडनैप किया गया था तब मैं किडनैपर्स को क्रिमिनल समझ रहा था.''
आमिर पर आतंक से जुड़े 20 केस दर्ज किए गए और उसे 14 साल जेल में गुजारने पड़े. कोर्ट में 20 मामलों में से 17 मामलों में आमिर को बरी कर दिया गया और जब वह 32 साल की उम्र में साल 2012 में जेल की सलाखों से बाहर आए तो आमिर की दुनिया बदल चुकी थी.
मोहम्मद आमिर ने बताया कि ''जब मैं रिलीज़ होकर आया तो दुनिया पूरी तरह बदल चुकी थी. दो तरीकों से बदल चुकी थी, एक टेक्नोलॉजी के हिसाब से और दूसरा फैमिली के हिसाब से. जब किडनैप किया गया था तब घर मेरे मां-बाप थे, एक छोटा बिज़नेस था. खुशहाल घराना था. जब 14 साल में वापस लौटा तो मेरे पिता जी की मौत हो चुकी थी और माता जी ब्रेन हेमरेज़ से पैरलाइज़ हो चुकी थीं. वे एक ज़िंदा लाश की तरह थीं. घर की हालत बहुत खराब थी. कर्ज में डूब गए थे.
आमिर पर आतंक से जुड़े तीन मामले अभी भी चल रहे हैं जो हाइकोर्ट में विचाराधीन हैं. पिछले साल आमिर के मामलों पर संज्ञान लेते हुए मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली पुलिस को आमिर को मुआवज़ा देने का आदेश दिया. हाल ही में दिल्ली पुलिस ने आमिर को 5 लाख का मुआवज़ा दिया.
मोहम्मद आमिर के मुताबिक ''चाहे 5 लाख हों, 50 लाख हों या 5 करोड़, कोई भी रकम 14 साल की भरपाई नहीं कर सकती. कोई मेरे मां-बाप को नहीं लौटा सकता. जो मेरी पढ़ने की उम्र थी, मेरे ख्वाब थे वो नहीं लौटा सकता. लेकिन आगे के जीवन के लिए ऐसी मदद लाभदायक हो सकती है.''
VIDEO : यौन शोषण का झूठा मामला
आमिर ने जेल में रहने के दौरान पढ़ाई भी की और अब उन्हें एक एनजीओ में नौकरी मिल गई है. आमिर का कहना है कि जब सरकार आत्मसमर्पण करने वाले आतंकियों का पुनर्वास कराती है तो आतंकी केसों में बरी हो चुके लोगों को कैसे भूल जाती है.
मोहम्मद आमिर के लिए जिंदगी का सफर कांटों भरा ही रहा है. जब वह 18 साल के थे तब 20 फरवरी 1998 को दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. आमिर पर आरोप था कि 1996 से लेकर 1998 के बीच दिल्ली और एनसीआर में जो धमाके हुए उनमें आमिर का हाथ है.
मोहम्मद आमिर बताते हैं कि ''मुझको ले जाकर आंखों की पट्टी खोली गई. सारे शरीर के कपड़े भी उतार दिए गए. टॉर्चर का एक सिलसिला शुरू हुआ. सात दिन तक उन लोगों ने अपनी हिरासत में रखा. जब मुझे किडनैप किया गया था तब मैं किडनैपर्स को क्रिमिनल समझ रहा था.''
आमिर पर आतंक से जुड़े 20 केस दर्ज किए गए और उसे 14 साल जेल में गुजारने पड़े. कोर्ट में 20 मामलों में से 17 मामलों में आमिर को बरी कर दिया गया और जब वह 32 साल की उम्र में साल 2012 में जेल की सलाखों से बाहर आए तो आमिर की दुनिया बदल चुकी थी.
मोहम्मद आमिर ने बताया कि ''जब मैं रिलीज़ होकर आया तो दुनिया पूरी तरह बदल चुकी थी. दो तरीकों से बदल चुकी थी, एक टेक्नोलॉजी के हिसाब से और दूसरा फैमिली के हिसाब से. जब किडनैप किया गया था तब घर मेरे मां-बाप थे, एक छोटा बिज़नेस था. खुशहाल घराना था. जब 14 साल में वापस लौटा तो मेरे पिता जी की मौत हो चुकी थी और माता जी ब्रेन हेमरेज़ से पैरलाइज़ हो चुकी थीं. वे एक ज़िंदा लाश की तरह थीं. घर की हालत बहुत खराब थी. कर्ज में डूब गए थे.
आमिर पर आतंक से जुड़े तीन मामले अभी भी चल रहे हैं जो हाइकोर्ट में विचाराधीन हैं. पिछले साल आमिर के मामलों पर संज्ञान लेते हुए मानवाधिकार आयोग ने दिल्ली पुलिस को आमिर को मुआवज़ा देने का आदेश दिया. हाल ही में दिल्ली पुलिस ने आमिर को 5 लाख का मुआवज़ा दिया.
मोहम्मद आमिर के मुताबिक ''चाहे 5 लाख हों, 50 लाख हों या 5 करोड़, कोई भी रकम 14 साल की भरपाई नहीं कर सकती. कोई मेरे मां-बाप को नहीं लौटा सकता. जो मेरी पढ़ने की उम्र थी, मेरे ख्वाब थे वो नहीं लौटा सकता. लेकिन आगे के जीवन के लिए ऐसी मदद लाभदायक हो सकती है.''
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आमिर ने जेल में रहने के दौरान पढ़ाई भी की और अब उन्हें एक एनजीओ में नौकरी मिल गई है. आमिर का कहना है कि जब सरकार आत्मसमर्पण करने वाले आतंकियों का पुनर्वास कराती है तो आतंकी केसों में बरी हो चुके लोगों को कैसे भूल जाती है.
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