मुंबई:
बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को शहर पुलिस आयुक्त को मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह पर भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत आपराधिक कदाचार के मामले में मुदकमा चलाने का निर्देश दिया। इस आदेश के बाद कृपा शंकर सिंह ने मुंबई कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।
मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह और न्यायमूर्ति रोशन दल्वी की खंडपीठ ने कहा, ‘पुलिस आयुक्त भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत कृपाशंकर सिंह पर आपराधिक कदाचार के मामले में सरकार से मुकदमा चलाने की अनुमति प्राप्त करेंगे।’ पीठ ने कहा कि पुलिस आयुक्त अरुप पटनायक कृपाशंकर और उनकी पत्नी, बेटे, पुत्रवधू समेत परिजनों की समस्त चल और अचल संपत्ति के बारे में दस्तावेजी साक्ष्य एकत्रित करेंगे। अपराध में सहायता करने पर परिजनों पर भी मुकदमा चलेगा।
अदालत ने कहा, ‘कृपाशंकर की अचल संपत्ति को जब्त कर लिया जाएगा। हम प्रतिवादियों के बैंक खातों के संबंध में कोई निर्देश जारी नहीं करना चाहते क्योंकि आरोप है कि पैसा उड़ा दिया गया है।’ अदालत में कार्यकर्ता संजय तिवारी की जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही थी। तिवारी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस विधायक कृपाशंकर सिंह ने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति जुटाई है।
अदालत ने जनहित याचिका पर सुनवाई को आगे बढ़ाते हुए पुलिस आयुक्त को 19 अप्रैल को अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। आदेश पर रोक लगाने की कृपाशंकर के वकील की याचिका खारिज कर दी गयी।
तिवारी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि सिंह झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के करीबी रहे हैं, जो फिलहाल करोड़ों के हवाला घोटाले के सिलसिले में जेल में बंद हैं। तिवारी ने दोनों के बीच पैसे के लंबे चौड़े लेनदेन का भी आरोप लगाया है।
कृपाशंकर सिंह के बेटे नरेंद्र मोहन की शादी कोडा सरकार में मंत्री रहे कमलेश सिंह की बेटी अंकिता से हुई। जनहित याचिका के अनुसार अंकिता के खाते में कमलेश ने 1.75 करोड़ रुपये डाले थे। याचिका में कहा गया है कि कृपाशंकर सिंह की पत्नी मालती देवी के खातों में भी बड़ा धनांतरण हुआ। कृपाशंकर के वकीलों ने जनहित याचिका का विरोध करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित और भाजपा के हितों को पूरा करने वाला बताया।
उनकी ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘सिंह और उनके परिवार की छवि बिगाड़ने के लिए यह राजनीतिक हित वाली याचिका (पॉलिटिकल इंट्रेस्ट लिटिगेशन) दाखिल की गयी। याचिकाकर्ता संजय तिवारी आरटीआई कार्यकर्ता होने की आड़ में भाजपा के हितों को साध रहे हैं। यह भाजपा और कांग्रेस के बीच का मामला है।’
(इनपुट भाषा से भी)
मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह और न्यायमूर्ति रोशन दल्वी की खंडपीठ ने कहा, ‘पुलिस आयुक्त भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत कृपाशंकर सिंह पर आपराधिक कदाचार के मामले में सरकार से मुकदमा चलाने की अनुमति प्राप्त करेंगे।’ पीठ ने कहा कि पुलिस आयुक्त अरुप पटनायक कृपाशंकर और उनकी पत्नी, बेटे, पुत्रवधू समेत परिजनों की समस्त चल और अचल संपत्ति के बारे में दस्तावेजी साक्ष्य एकत्रित करेंगे। अपराध में सहायता करने पर परिजनों पर भी मुकदमा चलेगा।
अदालत ने कहा, ‘कृपाशंकर की अचल संपत्ति को जब्त कर लिया जाएगा। हम प्रतिवादियों के बैंक खातों के संबंध में कोई निर्देश जारी नहीं करना चाहते क्योंकि आरोप है कि पैसा उड़ा दिया गया है।’ अदालत में कार्यकर्ता संजय तिवारी की जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही थी। तिवारी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस विधायक कृपाशंकर सिंह ने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति जुटाई है।
अदालत ने जनहित याचिका पर सुनवाई को आगे बढ़ाते हुए पुलिस आयुक्त को 19 अप्रैल को अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। आदेश पर रोक लगाने की कृपाशंकर के वकील की याचिका खारिज कर दी गयी।
तिवारी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि सिंह झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के करीबी रहे हैं, जो फिलहाल करोड़ों के हवाला घोटाले के सिलसिले में जेल में बंद हैं। तिवारी ने दोनों के बीच पैसे के लंबे चौड़े लेनदेन का भी आरोप लगाया है।
कृपाशंकर सिंह के बेटे नरेंद्र मोहन की शादी कोडा सरकार में मंत्री रहे कमलेश सिंह की बेटी अंकिता से हुई। जनहित याचिका के अनुसार अंकिता के खाते में कमलेश ने 1.75 करोड़ रुपये डाले थे। याचिका में कहा गया है कि कृपाशंकर सिंह की पत्नी मालती देवी के खातों में भी बड़ा धनांतरण हुआ। कृपाशंकर के वकीलों ने जनहित याचिका का विरोध करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित और भाजपा के हितों को पूरा करने वाला बताया।
उनकी ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘सिंह और उनके परिवार की छवि बिगाड़ने के लिए यह राजनीतिक हित वाली याचिका (पॉलिटिकल इंट्रेस्ट लिटिगेशन) दाखिल की गयी। याचिकाकर्ता संजय तिवारी आरटीआई कार्यकर्ता होने की आड़ में भाजपा के हितों को साध रहे हैं। यह भाजपा और कांग्रेस के बीच का मामला है।’
(इनपुट भाषा से भी)
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