अप्रैल माह के विधानसभा चुनाव के पहले एक विपक्षी प्रत्याशी को नामांकन वापस लेने के लिए कथित तौर पर रिश्वत देने के मामले में बीजेपी की केरल इकाई के प्रमुख के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. बीएसपी प्रत्याशी के तौर पर नामांकन पेपर फाइल करने वाले के. सुंदरा ने आरोप लगाया था कि मंजेस्वरम सीट से नाम वापस लेने के लिए बीजेपी की ओर से उन्हें ढाई लाख रुपये की राशि दी गई थी. एक स्थानीय कोर्ट ने इस मामले में CPM नेता वीवी रमेशन की याचिका पर कदम उठाते हुए 'चुनाव को रिश्वत के जरिये प्रभावित करने (bribery with intent to sabotage elections)' के तहत केस दर्ज करने का निर्देश पुलिस को दिया है.
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मामले की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि सुरेंद्रन का बयान रिकॉर्ड किया गया है और इस बारे में आगे जांच की जा रही है कि धनराशि किस तरह से दी गई और इसे किसने दिया? सुंदरा और सुरेंद्रन, दोनों राज्य की मंजेस्वरम सीट से उम्मीदवार थे. इस सीट पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के एकेएम अशरफ ने जीत हासिल की थी. इस सीट पर अशरफ 2000 वोटों के बारीक अंतर से जीते थे. माकपा के रमेशन, इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे.
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के. सुरेंद्रन पर लगे यह आरोप ताजा कड़ी माने जा सकते हैं क्योंकि बीजेपी नेता और उनकी पार्टी कुछ अन्य आरोपों का सामना कर रही है, इसमें स्थानीय सहयोगी जनतापति राष्ट्रीय पार्टी (JRP) और अन्य की ओर से 3.5 करोड़ रुपये के हवाला मामले का आरोप शामिल हैं. JRP नेता पी. अझिकोड ने के.सुरेंद्रन पर एक अन्य प्रत्याशी सीके जानू पर 10 लाख रुपये की घूस देकर एनडीए में शामिल होने का आरोप लगाया था. हालांकि सुरेंद्र ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा था-चुनावों के दौरान ऐसा दुष्प्रचार होता है. न तो जानू ने राशि के लिए कहा और न ही मैंने कोई राशि दी. इस बीच, कम से कम दो बीजेपी नेताओं से हवाला मामले में पूछताछ हुई है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने NDTV से पिछले सप्ताह कहा था, 'मामले की जांच जारी है. हम धनराशि के स्रोत के साथ यह पता लगा रहे है कि यह राशि किन लोगों को दी गई. कुछ और बीजेपी नेताओें से पूछताछ की जा सकती है.' केरल के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ एलडीएफ ने सबसे ज्यादा 99 सीटें जीती थीं जबकि यूडीएफ दूसरे स्थान पर रही थी. बीजेपी का केरल विधानसभा चुनावों में
प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था.
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