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'अब ट्रैक्टर क्रांति करेंगे', राकेश टिकैत का आह्वान; 26 जनवरी की हिंसा के आरोपियों के फोटो जारी : 10 अहम बातें

किसान आंदोलन: राकैश टिकैत ने चक्का जाम के बाद अब देशभर के किसानों से ‘‘ट्रैक्टर क्रांति’’ में शामिल होने का आह्वान किया है. टिकैत ने समर्थकों को संबोधित करने के दौरान किसान समुदाय से संपर्क साधने की कोशिश की, जिनमें से अधिकतर, खासकर दिल्ली-एनसीआर, के किसान 10 साल से अधिक पुराने ट्रैक्टर समेत डीज़ल से चलने वाली गाड़ियों पर प्रतिबंध के एनजीटी के फैसले से खफा हैं.

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किसान आंदोलन: राकैश टिकैत ने चक्का जाम के बाद अब देशभर के किसानों से ‘‘ट्रैक्टर क्रांति’’ में शामिल होने का आह्वान किया है.
नई दिल्ली:

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकैश टिकैत ने चक्का जाम के बाद अब देशभर के किसानों से ‘‘ट्रैक्टर क्रांति’’ में शामिल होने का आह्वान किया है. गाजीपुर प्रदर्शनस्थल पर टिकैत ने समर्थकों को संबोधित करने के दौरान किसान समुदाय से संपर्क साधने की कोशिश की, जिनमें से अधिकतर, खासकर दिल्ली-एनसीआर, के किसान 10 साल से अधिक पुराने ट्रैक्टर समेत डीज़ल से चलने वाली गाड़ियों पर प्रतिबंध के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के फैसले से खफा हैं. इस बीच दिल्ली पुलिस ने कृषि कानून के विरोध में बीते 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च के दौरान हुई हिंसा के मामले में धरपकड़ तेज करते हुए आरोपियों की तस्वीरें जारी की हैं.

  1. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा, "जो ट्रैक्टर खेतों में चलते हैं, वे अब दिल्ली में एनजीटी के दफ्तर में भी चलेंगे. हाल तक, वे नहीं पूछते थे कि कौन सा वाहन 10 साल पुराना है. उनकी आखिर योजना क्या है? 10 साल से अधिक पुराने ट्रैक्टरों को हटाना और कॉरपोरेट की मदद करना ? लेकिन 10 साल से अधिक पुराने ट्रैक्टर चलेंगे और (केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ) आंदोलन भी मजबूत करेंगे."
  2. टिकैत ने कहा कि विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर चल रहे किसानों के आंदोलन में देश भर के अधिक से अधिक किसान भाग लेंगे. हाल ही में दिल्ली में 20,000 ट्रैक्टर थे, अगला लक्ष्य इस संख्या को 40 लाख करना है. उन्होंने ट्रैक्टर मालिकों से अपने वाहनों को ''ट्रैक्टर क्रांति'' से जोड़ने का आह्वान किया. टिकैत ने कहा, "अपने ट्रैक्टर पर ''ट्रैक्टर क्रांति 2021, 26 जनवरी '' लिखिए. आप जहां भी जाएंगे, आपका सम्मान किया जाएगा."
  3. इस बीच, 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने धरपकड़ तेज कर दी है. उस दिन बुराड़ी इलाके में हुई हिंसा में शामिल आरोपियों की तस्वीर पुलिस ने जारी की है.  26 जनवरी को मुकरबा चौक से आउटर रिंग रोड होते हुए आईटीओ की तरफ जाने के दौरान किसान ट्रैक्टर रैली में शामिल लोगों ने बुराड़ी इलाके में रोके जाने पर सुरक्षा बलों के जवानों पर हमला कर दिया था. इस हमले में कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे. दिल्ली पुलिस ने बुराड़ी इलाके में हुई हिंसा से जुड़ी 24 तस्वीरें जारी की हैं. इन तस्वीरों में आरोपी लाठी ठंडे लिए और तोड़फोड़ करते नजर आ रहे हैं. ये तस्वीरें नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट की SIT ने मोबाइल वीडियो और सीसीटीवी फुटेज के जरिए तैयार की हैं.
  4. चक्का जाम के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा है कि कृषि कानूनों को पूर्ण रूप से निरस्त करने और एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग पर किसान संगठन दृढ़ हैं. किसान नेता दर्शनपाल ने कहा, "हम वार्ता के लिए तैयार हैं, गेंद सरकार के पाले में हैः."
  5. शनिवार को राजस्थान के भरतपुर के गाँव बहज (डीग) में किसान महापंचायत हुई जिसमें बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए. पूर्व मंत्री व विधायक विश्वेंद्र सिंह ने इस महापंचायत में आरोप लगाते हुए कहा कि ये तीनों कानून बड़े औद्योगिक घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं. सिंह ने ''किसान हैं तो हम हैं, किसान है तो देश है'' के आह्ववान के साथ किसानों को भरोसा दिलाते हुए कहा, ‘‘हम इन काले कानूनों का पुरजोर विरोध करते हैं और हर परिस्थिति में हम किसानों के साथ हैं.''
  6. इस महापंचायत में राजस्थान के साथ साथ उत्तर प्रदेश व हरियाणा से भी बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए. सिंह ने कृषि कानूनों पर तंज कसते हुए कहा कि जिन्हें गेहूं व जौ में फर्क पता नहीं है ऐसे लोग किसान कानून बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि तीन चौथाई मंत्रियों को गेहूं व जौ में फर्क पता नहीं है।
  7. उधर, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने शनिवार को केंद्र सरकार से किसानों की मांग स्वीकार करने और कृषि कानूनों को बिना और देरी किए निरस्त करने को कहा. बादल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से पूछा कि वह एक भी ऐसे दल का नाम बताएं जो किसानों का प्रतिनिधि है और उसने तीन कृषि कानूनों का स्वागत किया हो? उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री को संसद में यह धारणा बनाकर लोगों को गुमराह करना बंद करना चाहिए कि ये कानून सभी को स्वीकार्य हैं.
  8. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को संसद में कहा था कि सरकार ने कृषि कानूनों में संशोधन करने की किसानों की मांग यदि मान ली है तो इसका यह मतलब नहीं है कि इन तीनों कानूनों में कोई खामी है. बादल ने अमृतसर में कहा, ‘‘केंद्र सरकार को इसे प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाना चाहिए. इसके बजाय, उसे किसानों की आवाज को सुनना चाहिए और तीनों कानूनों को बिना देरी किए रद्द करना चाहिए.''
  9. केंद्र के नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे किसान संगठनों के तीन घंटे के ‘चक्का जाम' के आह्वान पर शनिवार को पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कई प्रमुख सड़कों को प्रदर्शनकारी किसानों ने ‘ट्रैक्टर-ट्रालियों' से अवरूद्ध कर दिया। वहीं, अन्य राज्यों में भी छिटपुट प्रदर्शन हुए. संयुक्त किसान मोर्च (एसकेएम) ने दावा किया ''चक्का जाम'' को देशव्यापी समर्थन मिला, जिसने एक बार फिर "साबित" कर दिया है कि देशभर के किसान केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ एकजुट हैं.
  10. प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने शनिवार को कहा कि वे सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन केंद्र को एक नया प्रस्ताव लेकर आना चाहिए क्योंकि विवादास्पद कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक के लिए निलंबित रखने का मौजूदा प्रस्ताव उन्हें स्वीकार नहीं है. इस बीच, किसान नेता राकेश टिकैत ने ऐलान किया है कि दिल्ली की सीमाओं पर उनका (किसानों का) प्रदर्शन ‘‘दो अक्टूबर तक'' जारी रहेगा और प्रदर्शनकारी किसान तभी घर लौटेंगे, जब केंद्र सरकार इन विवादास्पद कानूनों को रद्द कर देगी और ‘‘न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाला एक नया कानून'' बनाएगी. (भाषा इनपुट्स के साथ)

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