कृषि कानून (Agriculture Laws) के विरोध में किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च को देखते हुए दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने राज्य सरकार से शहर के नौ स्टोडियम को अस्थायी जेल के तौर पर इस्तेमाल करने की मांग की है ताकि पंजाब और हरियाणा से आने वाले प्रदर्शनकारी किसानों को यहां रखा जा सके. दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने इन स्टेडियमों को जेल में बदलने की अनुमति देने से मना कर दिया है. दिल्ली पुलिस के अनुरोध का आम आदमी पार्टी के कुछ नेताओं ने विरोध भी किया है.
आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक और राष्ट्रीय प्रवक्ता राघव चड्ढा ने शुक्रवार को किसानों के प्रदर्शन करने के अधिकारों का बचाव किया है और स्टेडियम को अस्थायी जेल में बदलने का अनुरोध करने का विरोध किया.
I urge the Delhi Govt to deny permission for setting up temporary prisons. The farmer of our country is neither a criminal nor a terrorist.
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) November 27, 2020
Right to protest peacefully is enshrined in Indian Constitution - Article 19(1) and protests are the hallmark of a free, democratic society. https://t.co/cqMvEb181r
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "मैं दिल्ली सरकार से अस्थायी जेल स्थापित करने की अनुमति देने से इनकार करने का आग्रह करता हूं. हमारे देश के किसान न तो अपराधी हैं और न ही आतंकवादी. भारतीय संविधान में शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन का अधिकार अनुच्छेद 19 (1) में निहित है और विरोध प्रदर्शन एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक समाज की पहचान है.
I think it's a most inhuman thing we can do to our farmers. Delhi Police should stop calling themselves- दिल वाली पुलिस https://t.co/bqBH3MDcWB
— Saurabh Bharadwaj (@Saurabh_MLAgk) November 27, 2020
आम आदमी पार्टी के एक और विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मुझे लगता है कि हमारे किसानों के लिए यह सबसे अमानवीय बात है. दिल्ली पुलिस को खुद को दिल वाली पुलिस कहना बंद कर देना चाहिए."
दिल्ली की ओर कूच कर रहे किसानों पर पानी की बौछारों और आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया, जबकि कई किसान पुलिस के अवरोधों को तोड़कर आगे बढ़ने में सफल रहे. देर शाम तक, पंजाब और हरियाणा से बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी दिल्ली के करीब पहुंच गए हैं.
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