मोदीनगर:
पिछले मौसम में बेवक्त बरसात के बाद अपनी फसल गंवाने वाले किसानों के सामने संकट लगातार बड़ा होता जा रहा है। मोदीनगर इलाके में आज ऐसे सैकड़ो किसान हैं जिनकी फसल बरबाद हुई लेकिन आजतक प्रशासन से कोई मुआवज़ा नहीं मिला। अब नई फसल बोने के वक्त उनके सामने एक नया संकट खड़ा हो गया है। बैंक नया लोन दे नहीं रहे, क्योंकि उन्होंने पिछले साल का लोन आज तक चुकाया नहीं। अब नया बीज, खाद और कीटनाशक खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं।
संसारवती दशकों से इस इलाके मैं खेती करती रही हैं। पिछले महीने 13 अप्रैल को जब मैं उनके घर गया तो उन्होंने भरी बारिश से तबाह हुई अपनी फसल मुझे दिखाई थी। तब संसारवती ने सरकार से मुआवज़े की गुहार लगायी थी लेकिन आजतक एक रुपया भी मुआवज़ा नहीं मिला। अब 26 मई को हालत ये है कि नयी फसल बोने के लिए परिवार के पास पैसे नहीं हैं।
संसारवती कहती हैं किसी तरह से क़र्ज़ लेकर ख़राब पड़ी फसल को हटाकर खेतों की जुताई करवाई है लेकिन नया बीज, खाद और कीटनाशक खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। संसारवती के बेटे विनय नेहरा ने एनडीटीवी को बताया कि अगर पैसों का जुगाड़ नहीं हो पाया तो इस बार खेत खाली पड़े रहेंगे और कोई फसल नहीं बोई जाएगी।
पड़ोस के किसान राज कुमार और विजय कुमार कहते हैं कि मौजूदा हालत मैं किसानों के पास साहूकार के पास जाने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं है जो 5 या 6 प्रतिशत प्रति महीने की रेट पर क़र्ज़ देते हैं। उन्होंने बताया कि बैंक नया लोन देने को राज़ी नहीं हैं और ये साफ़ कर चुके हैं कि पिछले साल का लोन चुकाने के बाद ही नया लोन सैंक्शन करेंगे। ऐसे में परिस्थिति किसानों को साहूकारों के चंगुल में फंसने को मजबूर कर सकती है।
इस इलाके में पिछले चार दशक से खेती कर रहे हरिंदर नेहरा कहते हैं, 'चीनी मिल मालिकों ने किसानों के गन्ने का एक साल से बकाया नहीं चुकाया है जिससे हालात और ख़राब हो गए हैं। उनके मुताबिक इस इलाके के किसानों का चीनी मिलों के पास करोड़ों का बकाया है लेकिन कोई पेमेंट नहीं हो रहा है।' उनका कहना है की मौजूदा स्थिति में किसान चारो तरफ से फंसता जा रहा है और सरकार को इसकी कोई फिक्र नहीं है। नई फसल बोना मुश्किल होता जा रहा है और किसान पर संकट के बदल गहराते जा रहे हैं।
संसारवती दशकों से इस इलाके मैं खेती करती रही हैं। पिछले महीने 13 अप्रैल को जब मैं उनके घर गया तो उन्होंने भरी बारिश से तबाह हुई अपनी फसल मुझे दिखाई थी। तब संसारवती ने सरकार से मुआवज़े की गुहार लगायी थी लेकिन आजतक एक रुपया भी मुआवज़ा नहीं मिला। अब 26 मई को हालत ये है कि नयी फसल बोने के लिए परिवार के पास पैसे नहीं हैं।
संसारवती कहती हैं किसी तरह से क़र्ज़ लेकर ख़राब पड़ी फसल को हटाकर खेतों की जुताई करवाई है लेकिन नया बीज, खाद और कीटनाशक खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। संसारवती के बेटे विनय नेहरा ने एनडीटीवी को बताया कि अगर पैसों का जुगाड़ नहीं हो पाया तो इस बार खेत खाली पड़े रहेंगे और कोई फसल नहीं बोई जाएगी।
पड़ोस के किसान राज कुमार और विजय कुमार कहते हैं कि मौजूदा हालत मैं किसानों के पास साहूकार के पास जाने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं है जो 5 या 6 प्रतिशत प्रति महीने की रेट पर क़र्ज़ देते हैं। उन्होंने बताया कि बैंक नया लोन देने को राज़ी नहीं हैं और ये साफ़ कर चुके हैं कि पिछले साल का लोन चुकाने के बाद ही नया लोन सैंक्शन करेंगे। ऐसे में परिस्थिति किसानों को साहूकारों के चंगुल में फंसने को मजबूर कर सकती है।
इस इलाके में पिछले चार दशक से खेती कर रहे हरिंदर नेहरा कहते हैं, 'चीनी मिल मालिकों ने किसानों के गन्ने का एक साल से बकाया नहीं चुकाया है जिससे हालात और ख़राब हो गए हैं। उनके मुताबिक इस इलाके के किसानों का चीनी मिलों के पास करोड़ों का बकाया है लेकिन कोई पेमेंट नहीं हो रहा है।' उनका कहना है की मौजूदा स्थिति में किसान चारो तरफ से फंसता जा रहा है और सरकार को इसकी कोई फिक्र नहीं है। नई फसल बोना मुश्किल होता जा रहा है और किसान पर संकट के बदल गहराते जा रहे हैं।
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