सरकार और किसान संगठनों के बीच एमएसपी पर बनने वाली कमेटी में भी संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिथियों के ही रहने की बात पर भी सहमति बन गई है. इलेक्ट्रीसिटी बिल पर भी संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों से बात के बाद ही सरकार आगे बढ़ेगी.
साथ ही मुआवजे पर भी हरियाणा और यूपी तैयार हैं, लेकिन किसानों की मांग है कि पंजाब की तर्ज पर मुआवजा मिले. केंद्र सरकार दिल्ली में हुए मुक़दमों को भी वापस लेने को तैयार है.
किसान नेता और सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने एनडीटीवी से कहा कि सरकार मुआवजा देने को तैयार है. सरकार MSP पर कमेटी बना रही है जिसमें SKM के किसान नेता होंगे. सरकार देश में किसानों पर हुए सारे मुक़दमे वापस लेने को तैयार है. जैसे ही सरकार प्रस्ताव पर मुहर लगाकर देगी तो हम गुरुवार को 12 बजे आंदोलन ख़त्म करने का ऐलान कर देंगे.
केंद्र सरकार ने किसानों का आंदोलन खत्म कराने के लिए आज उनके पास एक नया प्रस्ताव भेजा था. सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा के पांच सदस्यीय पैनल को भेजे नए प्रस्ताव में किसानों के खिलाफ दर्ज सभी केस तुरंत निलंबित करने का आश्वासन दिया था. इससे पहले बुधवार को भी सरकार ने किसानों को प्रस्ताव दिया था. उस पर चर्चा करने और आगे की रणनीति तय करने के लिए दिल्ली में किसान संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने आज आपात बैठक की.
प्रस्ताव स्वीकार किए जाने के बाद इस बात की चर्चा तेज है कि किसान नेता केंद्र सरकार के प्रस्तावों के मद्देनजर किसान आंदोलन खत्म कर सकते हैं. पिछले एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन कर रहे हैं.
तीनों कृषि क़ानून ख़त्म करने के बाद केंद्र सरकार ने मंगलवार को भी किसानों को नया प्रस्ताव भेजा था, जिसमें कहा गया है कि अगर किसान आंदोलन वापस ल लें तो उनके ख़िलाफ़ चले केस भी ख़त्म हो जाएंगे. इसी के बाद आज आंदोलन जारी रखने या ख़त्म करने पर चर्चा के लिए किसान नेताओं की आपात बैठक बुलाई गई थी. कल आपात बैठक के पैनल में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, युद्धवीर सिंह, अशोक धावले, शिवकुमार कक्का शामिल थे.
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बता दें कि इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को ही संसद में किसानों का मुद्दा उठाया था. उन्होंने लोकसभा में सरकार से मांग की थी कि आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को मुआवजा और परिवार के सदस्यों को नौकरी मिलनी चाहिए. केंद्र सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा था कि आप की सरकार कह रही है कि कोई किसान शहीद नहीं हुआ और आपके पास नाम नहीं हैं. उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के नाम लोकसभा में दिखाते हुए कहा कि किसानों का जो हक है, वह उन्हें मिलना चाहिए.
अगले साल की शुरुआत में यूपी, उत्तराखंड और पंजाब समेत पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं. सरकार नहीं चाहती कि किसानों के आंदोलन और गुस्से का खामियाजा इन चुनावों में बीजेपी को भुगतना पड़े. सबसे ज्यादा संकट यूपी को लेकर है, जहां पश्चिमी यूपी में जाट किसानों की बहुलता है.