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This Article is From Feb 01, 2021

किसान नेताओं ने ‘सम्मानपूर्ण समाधान’ की जरूरत बताई, कहा दबाव में नहीं मानेंगे

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के कुछ दिन बाद शनिवार को कहा था कि प्रदर्शनकारी किसानों के लिए उनकी सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है और सरकार बातचीत से महज ‘‘एक फोन कॉल’’ दूर है.

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किसान नेताओं ने ‘सम्मानपूर्ण समाधान’ की जरूरत बताई, कहा दबाव में नहीं मानेंगे
केन्द्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ नवंबर के अंत से किसान आंदोलन जारी है. (फाइल फोटो)
नयी दिल्ली/गाजियाबाद:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले ही कहा था कि उनकी सरकार किसानों से बस एक ‘फोन कॉल' दूर है और रविवार को प्रदर्शनकारी किसान संघों के नेताओं ने कहा कि एक ‘सम्मानपूर्ण समाधान' निकाला जाना चाहिए लेकिन वे दबाव में किसी चीज के लिए रजामंद नहीं होंगे. किसान नेता राकेश टिकैत और नरेश टिकैत ने मांग की कि सरकार को वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिहाज से प्रदर्शनकारियों को रिहा कर देना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को अपने ‘मन की बात' कार्यक्रम में कहा कि गणतंत्र दिवस पर तिरंगे के अपमान से पूरा देश दु:खी है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की बृहस्पतिवार को की गयी भावनात्मक अपील के बाद दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा गाजीपुर बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसानों की आमद जारी है.

केन्द्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ नवंबर के अंत से जारी किसान आंदोलन की गति गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद थम गई थी लेकिन राकेश टिकैत के पत्रकारों से बातचीत के दौरान आंसू नहीं रोक पाने के बाद उन्हें समर्थन बढ़ता जा रहा है. इस बीच नरेश टिकैत का मुजफ्फरनगर में संवाददाताओं से बातचीत का एक वीडियो रविवार को सोशल मीडिया पर सामने आया जिसमें कृषि कानूनों को ‘आग' करार देते हुए वह कह रहे हैं, ‘‘इस कानून को दबा दो. ये आग है. ये बहुत नुकसान की आग है.'' उन्होंने यह भी कहा, ‘‘इस सरकार में राजनाथ सिंह की तौहीन हो रही है.''

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शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे और किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया. उन्होंने राकेश टिकैत से मुलाकात की. कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे टिकैत भाइयों ने रविवार को कहा कि किसान प्रधानमंत्री की गरिमा का सम्मान करेंगे, लेकिन वे आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि कृषि कानूनों का मुद्दा चुनाव में भाजपा के लिए भारी पड़ सकता है. किसानों के प्रदर्शन का पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति पर क्या कोई असर पड़ेगा, इस सवाल पर भाकियू के अध्यक्ष और बड़े भाई नरेश टिकैत ने कहा, ‘‘वे किसी को भी वोट देने के लिए स्वतंत्र हैं. हम उनसे किसी पार्टी विशेष के लिए मतदान करने को नहीं कह सकते. अगर किसी पार्टी ने उन्हें आहत किया है तो वे उसे सत्ता में वापस क्यों लाएंगे?''

टिकैत बंधुओं ने कहा कि वे ‘बीच का रास्ता' निकालने के लिए सरकार के साथ बातचीत को तैयार हैं. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के कुछ दिन बाद शनिवार को कहा था कि प्रदर्शनकारी किसानों के लिए उनकी सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है और सरकार बातचीत से महज ‘‘एक फोन कॉल'' दूर है. राकेश टिकैत ने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री की गरिमा का सम्मान करेंगे. किसान नहीं चाहते कि सरकार या संसद उनके आगे झुकें.'' हालांकि उन्होंने कहा, ‘‘हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि किसानों के आत्म-सम्मान की रक्षा हो.'' गणतंत्र दिवस पर अनेक प्रदर्शनकारी लाल किले के अंदर पहुंच गये थे. टिकैत बंधुओं ने भी गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की निंदा की और कहा कि यह अस्वीकार्य है. हालांकि उन्होंने आरोप लगाया कि यह हिंसा एक षड्यंत्र का नतीजा थी.

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उन्होंने कहा कि तिरंगा सबसे ऊपर है और वे कभी किसी को इसका अपमान नहीं करने देंगे. दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को हुई हिंसा के संबंध में करीब 40 मामले दर्ज किए हैं और 80 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है. राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को ‘‘हमारे लोगों को रिहा करना चाहिए और वार्ता के अनुकूल माहौल तैयार करना चाहिए.'' नरेश टिकैत ने ‘पीटीआई भाषा' से कहा, ‘‘वार्ता जरूरी है. समाधान निकलना चाहिए. ये किसान दो महीने से अधिक वक्त से प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग पूरी होनी चाहिए.'' उन्होंने कहा, ‘‘बीच का रास्ता यह हो सकता है कि भाजपा सरकार किसानों को आश्वासन दे कि वह अपने शासनकाल में तीनों कानून को लागू नहीं करेगी. हम भी किसानों को मनाने का प्रयास करेंगे. इससे बेहतर क्या हो सकता है?''

नरेश टिकैत ने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री के पद का सम्मान करते हैं. किसानों का भी सम्मान होना चाहिए.'' टिकैत बंधु देश के बड़े किसान नेता दिवंगत महेंद्र सिंह टिकैत के पुत्र हैं. इस बीच गाजीपुर में यूपी गेट स्थित प्रदर्शन स्थल पर रविवार को और तंबू पहुंचे. आसपास के क्षेत्रों से यहां किसानों का पहुंचना जारी है. कई लोगों को राकेश टिकैत से बातचीत के लिए या उनके साथ सेल्फी के लिए घंटों तक इंतजार करते देखा गया. भाकियू के एक नेता ने कहा कि राकेश टिकैत पिछले तीन दिन से एक दिन में तीन घंटे से ज्यादा नहीं सो पाए हैं. भाकियू सदस्य ने कहा, ‘‘इस बीच उन्हें रक्तचाप संबंधी समस्या भी हुई, लेकिन अब वह ठीक हैं.'' गाजीपुर बॉर्डर जाकर राकेश टिकैत से मिलने वालों में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, आप नेता और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, रालोद नेता जयंत चौधरी तथा इनेलो नेता अभय चौटाला शामिल हैं.

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दिल्ली की सीमाओं पर तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का विस्तार अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी होता दिख रहा है जहां रविवार को बागपत में आयोजित महापंचायत में हजारों लोग शामिल हुए. बागपत के तहसील मैदान पर हुई ‘सर्व खाप पंचायत' में आसपास के जिलों से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भरकर किसान बड़ी संख्या में पहुंचे. शुक्रवार को मुजफ्फरनगर और शनिवार को मथुरा के बाद यह क्षेत्र में किसानों की तीसरी महापंचायत थी. भाकियू नेता राजेंद्र चौधरी ने यहां मौजूद लोगों से कहा, “आंदोलन को पूरी ताकत के साथ जारी रखना होगा.” दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर रविवार को और गहमागहमी रही जहां केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा से काफी संख्या में किसान एकजुट हुए. कुछ किसानों ने खराब इंटरनेट सेवा और पानी तथा भोजन मिलने में कठिनाइयों की भी शिकायतें कीं.

उधर विपक्षी दल संसद में कृषि कानूनों के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठा सकते हैं. अकाली दल और कांग्रेस समेत अनेक दलों और मीडिया संगठनों ने सिंघू बॉर्डर पर कथित तौर पर पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार के लिए हिरासत में लिए गये दो पत्रकारों पर पुलिस कार्रवाई की रविवार को निंदा की. कृषि कानूनों की निंदा करने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार के ट्वीट पर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कानून के बारे में “अनभिज्ञता व गलत जानकारी” दोनों का मिलाजुला रूप देखने को मिल रहा है और उम्मीद जताई कि “तथ्यों” को जानने के बाद पवार अपना रुख बदल लेंगे. पवार ने शनिवार को किये सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि केंद्र सरकार के नए कृषि कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खरीद को बुरी तरह प्रभावित करेंगे और मंडी व्यवस्था को कमजोर करेंगे.

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संप्रग (यूपीए) सरकार के दौरान कृषि मंत्री रहते हुए इन सुधारों के लिये आवाज उठा चुके पवार का ट्वीट ऐसे समय में आया है जब केंद्र और 41 प्रदर्शनकारी किसान संगठनों में बातचीत को लेकर गतिरोध बना हुआ है. राकांपा (एनसीपी) नेता की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए तोमर ने कहा कि पवार वरिष्ठ नेता हैं और माना जाता है कि वह कृषि संबंधी मामलों और उनके समाधान के बारे में पूरी जानकारी रखते हैं. इस बीच पंजाब में आप और सत्तारूढ़ कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले जहां आम आदमी पार्टी ने मांग की कि राज्य पुलिस को दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए जिसे मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ‘एकतरफा, बेतुका और तर्करहित' बताया.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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