फरीदाबाद : अरावली की पहाड़ियों के बीच मिली 1 लाख साल पुरानी गुफाएं

NDTV की टीम बैंसला के साथ कोट गांव से दस किमी दूर मांगर गांव की ओर जब बढ़ी, तो पाया कि मांगर गांव भी अरावली की पहाड़ियों से घिरा है. इस गांव से सटी कई पहाड़ियों में पाषाणकाल की गुफाएं और चित्रकारी मिली.

फरीदाबाद : अरावली की पहाड़ियों के बीच मिली 1 लाख साल पुरानी गुफाएं

पुरापाषाण काल में कभी मानव यहां की गुफाओं में रहते रहे होंगे.

फरीदाबाद:

दिल्ली से सटे फरीदाबाद के अरावली की पहाड़ियों में एक लाख साल पुरानी गुफाएं और पत्थर पर उकेरे गए पेट्रोग्लिफ मिले हैं, जिनसे पता चलता है पुरापाषाण काल में कभी मानव यहां की गुफाओं में रहते रहे होंगे. अब हरियाणा पुरातत्व विभाग ने इन साइट्स को संरक्षित करने का प्रस्ताव दिया है. दिल्ली-हरियाणा बार्डर में अरावली की बियाबान पहाड़ियों में एक लाख साल पुरानी गुफाएं और पेट्रोग्लिफ के निशान खोजने में दो शोधकर्ताओं की अहम भूमिका है. पहले शोधकर्ता शैलैश बैंसला पुरापाषाण काल के औजारों और चित्र पर शोध कर रहे हैं. उनके घर में पुरापाषाण काल के पत्थर के अनगिनत औजार हैं, जिनके जरिए उन्होंने इस तरह के क्यूपल्स बनाएं होंगे. दुनिया की सबसे पुरानी कलाकृतियां इन्हीं पत्थरों के औजार से बनाई गई है.

दिल्ली से करीब 45 किमी दूर अरावली की पहाड़ियों से घिरे गांव कोट से सटी पहाड़ियों के 10 किमी के दायरे में शैलेश बैंसला को पुरापाषाण काल के अवशेष मिले हैं. अरावली के जंगलों से घिरे पहाड़ों पर कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद शैलेश ने NDTV को पत्थरों पर खुदी पाषाण काल की चित्रकारी को दिखाए. जिसमें चट्टान पर हाथ और पैर के पंजों के कई निशान बने मिले. कई जगहों पर पुरापाषाण काल के क्यूबिक्स यानि एक ही कतार में कप की आकृतियां बनी हुई मिली, जो मध्य प्रदेश के भीम बैठका की गुफाओं में मिले क्यूबिक्स से मिलते हैं. बैंसला ने NDTV से बात करते हुए कहा, “यहां पर हमें जो क्यूबिक्स मिले हैं, वो एकदम शुरुआती आर्ट है, जो मध्य प्रदेश के धारा के चट्टानों जैसे हैं. दुनिया की सबसे पुरानी फार्म आफ आर्ट है. क्यूबिक्स के अलावा हमें चित्रकारी भी मिले हैं. जिस पर हाथ और पैर के निशान हैं, जो चित्रकारी से पहले के हैं. ये प्लोलिथिक काल के हैं.

NDTV की टीम बैंसला के साथ कोट गांव से दस किमी दूर मांगर गांव की ओर जब बढ़ी, तो पाया कि मांगर गांव भी अरावली की पहाड़ियों से घिरा है. इस गांव से सटी कई पहाड़ियों में पाषाणकाल की गुफाएं और चित्रकारी मिली. यहां हमारी मुलाकात पर्यायवरण शोधकर्ता सुनील से हुई. मांगर के जंगलों का सर्वे करते हुए सुनील ने बताया कि यहां कई पुरानी गुफाएं और चित्रकारी है. उन्होंने बताया कि हरियाणा पुरातत्व विभाग की एक टीम भी इन गुफाओं को देखने के लिए पहुंची है. उन्होंने यहां के बारे में बताते हुए कहा कि यहां जानवरों के खून और पत्थरों के पीसे गए रसायन से कलाकृतियां बनाई गई है. कुछ अजीब से निशान हैं जिसे उस वक्त के जादू टोने से भी जोड़ के देखा जा सकता है.

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हमें बताया गया कि हरियाणा राज्य पुरातत्व विभाग और पुरातत्व मंत्रालय दोनों की टीम ने इन गुफाओं का दौरा किया है. घने जंगल और पहाड़ों के बीच बनी इन गुफाओं को संरक्षित करने का प्रस्ताव भेजा गया है. हरियाणा पुरातत्व विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ बनानी भट्टाचार्या ने NDTV से बात करते हुए कहा, “हमने इन साइट्स को देखा है. पहली नजर में ये पाषाणकाल की लग रही है. हम डाक्यूमेंटेट कर रहे हैं. फिलहाल इसे तुरंत संरक्षित करने की जरुरत है.” अरावली की पहाड़ियों पर लंबे समय तक चले खनन के चलते तमाम धरोहरे खत्म हो चुकी हैं. लेकिन एक लाख साल पुरानी गुफा और चित्रकारी की इस खोज से पता चलता है कि यहां पाषाणकाल की ये पुरानी बस्ती रही होगी.